इंदौर। शहर में होने वाले अपराधों में देसी पिस्टल का बड़ा रोल है। पुलिस के अनुसार शहर में हर तीसरी हत्या में देसी पिस्टल का उपयोग होता है। यदि इस पर रोक लग सके तो अपराधों में कमी हो सकती है। पुलिस हर साल दो सौ से अधिक हथियार जब्त करती है, लेकिन इसकी सप्लाई शहर में बंद होने का नाम नहीं ले रही है। यूं तो पुलिस अधिकृत रूप से कुछ नहीं बोलती, लेकिन मानती है कि शहर में लाइसेंसी हथियारों से दोगुना अवैध हथियार हो सकते हैं।
क्राइम ब्रांच ने दो दिन पहले प्रकाशसिंह सिकलीगर और उसके साथियों से 51 देसी पिस्टल जब्त की थीं। एक दर्जन और मिलने की उम्मीद है। ये हथियार शहर में गुंडे ही खरीदते हैं, जिनका उपयोग शहर में होने वाले अपराधों में होता है। यह सिलसिला सालों से चल रहा है और आए दिन सिकलीगरों को पुलिस अवैध हथियारों के साथ पकड़ती है। कुछ साल पहले तत्कालीन डीआईजी ए. सांई मनोहर ने कुछ सालों का रिकार्ड खंगाला था, ताकि पता चल सके कि शहर में होने वाली हत्याओं में देसी पिस्टल का उपयोग कितना हुआ। इस दौरान यह जानकारी निकलकर आई थी कि शहर में होने वाली हर तीसरी हत्या में देसी पिस्टल का उपयोग होता है। यह सिलसिला जारी है। पिछले साल शहर में 80 के लगभग हत्याएं हुई थीं। लॉकडाउन के कारण इसमें कमी आई थी, लेकिन सूत्रों का कहना है कि पिछले साल हुई हत्याओं में भी लगभग हर तीसरी हत्या में देसी पिस्टल का इस्तेमाल हुआ है।
लाइसेंसी हथियार का नहीं उपयोग
पिछले कुछ सालों के पुलिस रिकार्ड पर नजर डाली जाए तो पता चलता है कि शहर में लाइसेंसी हथियारों से नाममात्र की घटनाएं होती हैं। इससे ज्यादातर ऐसी ही घटनाएं होती हैं जैसे आत्महत्या। गलती से हर्ष फायर में घटना होना ही प्रमुख है।
तीन साल में 600 जब्त
पिछले कुछ साल से क्राइम ब्रांच लगातार सिकलीगरों पर कार्रवाई कर रही है। तत्कालीन एएसपी अमरेंद्रसिंह ने लगभग हर साल दो सौ से अधिक अवैध पिस्टल जब्त की थीं। यह सिलसिला अभी भी जारी है। लगातार कार्रवाई से यह देखने में आया था कि शहर में होने वाली हत्याओं में देसी हथियार का उपयोग कम हुआ है, लेकिन यह असर कुछ समय ही रहा।
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