इंदौर। एक तरफ वन विभाग की जमीनों पर मेट्रो सहित कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्टों को अमल में लाने में परेशानी होती है, तो दूसरी तरफ 225 एकड़ जमीन पर अवैध स्वामित्व जता रखा है। योजना 172 में शामिल 95 हेक्टेयर यानी 225 एकड़ जमीन राजस्व विभाग ने कुछ समय पूर्व इंदौर विकास प्राधिकरण को सौंपी थी। दरअसल यह जमीन प्राधिकरण को शासन ने इसलिए दी ताकि टीसीएस और इन्फोसिस को सुपर कॉरिडोर पर जो जमीन आबंटित की गई उसकी प्रतिपूर्ति हो सके। प्राधिकरण ने इस जमीन पर 10 हजार की क्षमता वाले कन्वेंशन सेंटर की प्लानिंग कर ली। मगर वन विभाग ने आपत्ति ले ली। नतीजतन अब अनुमति मिलने में प्राधिकरण को परेशानी आ रही है और प्रोजेक्ट अधर में लटका है।
प्राधिकरण ने सुपर कॉरिडोर की अपनी बेशकीमती 230 एकड़ जमीन दोनों प्रमुख आईटी कम्पनियों टीसीएस और इन्फोसिस के लिए शासन को सौंपी थी और फिर शासन ने ये जमीनें इन कम्पनियों को आबंटित की। मगर बदले में प्राधिकरण को शासन से दी गई जमीन के बदले राशि तो प्राप्त नहीं हुई। अलबत्ता छोटा बांगड़दा और नैनोद की 225 एकड़ जमीन बदले में शासन ने प्राधिकरण को आबंटित कर दी। मगर इस जमीन पर वन विभाग लगातार अपना आधिपत्य और स्वामित्व बताता रहा, जिसके चलते प्राधिकरण अपने प्रोजेक्ट कोअमल में ही नहीं ला पा रहा है। नगरीय विकास और आवास मंत्रालय ने 95 हेक्टेयर जमीन जो प्राधिकरण को आबंटित की वह खसरा नम्बर 322 और 334 की है, जिस पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की मंशा अनुरूप प्राधिकरण ने विशाल कन्वेंशन सेंटर निर्मित करने की योजना बना ली और बोर्ड संकल्प भी 06.02.2023 को पारित कर दिया। ड्राइंग-डिजाइन से लेकर कंसल्टिंग फर्म से प्रोजेक्ट भी तैयार करवा लिया। प्राधिकरण अध्यक्ष जयपालसिंह चांवड़ा का कहना है कि हमने कन्वेंशन सेंटर निर्माण की सारी प्रक्रिया पूरी कर ली।
लेकिन वन विभाग की आपत्ति के चलते प्रोजेक्ट पर काम शुरू नहीं कर पा रहे हैं। इसी बीच विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो गई। उसके चलते भी यह प्रकरण ठंडे बस्ते में रहा। अब आज नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई की पहल पर वन विभाग के आला अधिकारियों के साथ भोपाल में बैठक रखी गई है, जिसमें शामिल होने प्राधिकरण सीईओ आरपी अहिरवार भी गए हैं। एसीएस फॉरेस्ट भी इस मीटिंग में मौजूद रहेंगे और प्राधिकरण को उम्मीद है कि यह मसला सुलझ जाएगा। यह भी उल्लेखनीय है कि तत्कालीन कलेक्टर मनीष सिंह ने भी इन जमीनों को लेकर विस्तृत आदेश जारी किए हैं, जिसमें नैनोद की जमीन सर्वे नम्बर 322, 334 को राजस्व विभाग की जमीन ही बताया है और अधिसूचित रक्षित वन की श्रेणी में इन जमीनों को नहीं माना गया। मगर वन विभाग ने 22 अप्रैल 2022 के कलेक्टर के आदेश को भी नहीं माना, जिसमें स्पष्ट कहा गया कि सर्वे नं. 322 और 334 नमणा बिजासन फॉरेस्ट ब्लॉक का हिस्सा नहीं है और यह जमीन शासन आदेश पर प्राधिकरण के पक्ष में टीसीएस और इन्फोसिस को दी गई जमीन के एवज में आवंटित की गई है। अब देखना यह है कि भोपाल में होने वाली इस बैठक में क्या हल निकलता है।
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