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    इंदौर-पीथमपुर इकानॉमिक कॉरिडोर में शामिल 17 गांवों में धड़ल्ले से अवैध कालोनाइजेशन

  • April 17, 2023

    • एमपीआईडीसी ने अनुमतियों की जानकारी भी मांगी, नोटरियों-डायरियों पर बिक रहे हैं भूखंड

    इंदौर (Indore)। मध्यप्रदेश औद्योगिक विकास निगम द्वारा इंदौर-पीथमपुर इकोनॉमिक कॉरिडोर (Indore-Pithampur Economic Corridor) के साथ ही सेक्टर-7 को भी विकसित किया जा रहा है। चूंकि तेजी से औद्योगिक निवेश इन क्षेत्रों में होना है, जिसके चलते अवैध कालोनाइजेशन की प्रक्रिया भी एकाएक बढ़ गई, जिसके चलते पिछले दिनों एमपीआईडीसी के एमडी मनीष सिंह ने इस मामले में कार्रवाई के निर्देश दिए और निगम के इंदौर कार्यालय ने ऐसे अवैध कालोनी काटने वालों को यह नोटिस जारी किए, तो मौके पर पहुंचकर जेसीबी से कुछ अवैध निर्माण हटवाए भी।

    अभी कार्यकारी संचालक प्रतुल्ल सिन्हा के मुताबिक इंदौर-पीथमपुर इकोनॉमिक कॉरिडोर योजना में शामिल 17 गांवों के जमीन मालिकों और उनके द्वारा किए जा रहे निर्माण कार्यों से संबंधित अनुमतियों की जानकारी मांगी गई है। दरअसल अवैध कॉलोनियों के कटने की लगातार शिकायतें मिल रही है और पिछले दिनों मौके पर पहुंचकर कार्रवाई भी की थी और नोटिस भी जारी किए गए हैं। अब इन 17 गांवों, जिनमें नैनोद रिजलाय, बिसनावदा, कोर्डियाबर्डी, नावदापंथ, श्रीराम तलावली, बागोदा, रंगवासा, शिवखेड़ा, सिंदोड़ा, सिंदोड़ी, मोकलाय, नरलाय, सोनवाय, भैंसलाय, डेहरी एवं धन्नड़ की जमीनों पर इस तरह के निर्माण कार्यों के भू-धारकों को कहा गया है कि वे निर्माण विकास से संबंधित स्वीकृतियों, नगर तथा ग्राम निवेश से मंजूर अभिन्यास, कॉलोनी सेल से प्राप्त विकास अनुमति, कार्यपूर्णता प्रमाण-पत्र सहित सक्षम अनुमतियों की छायाप्रतियां 24 अप्रैल तक कार्यालय में जमा कराएं।


    इसके पश्चात यह माना जाएगा कि जमीन मालिक के पास सक्षम स्वीकृतियां नहीं है और फिर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। दरअसल इन औद्योगिक क्षेत्रों में धड़ल्ले से जहां अवैध कॉलोनियां काटी जा रही है, वहीं नोटरी और डायरियों पर भूखंड बेचे जा रहे हैं। इंदौर के ही तमाम रसूखदारों ने इन क्षेत्रों में जमीनें खरीद रखी है और पीथमपुर सेक्टर-7 के साथ-साथ जो इकोनॉमिक कॉरिडोर विकसित किया जाना है, जिसके चलते जमीनों के भाव भी बढ़ गए और अवैध कालोनाइजेशन भी शुरू हो गया। एमपीआईडीसी के एमडी मनीष सिंह के मुताबिक मध्यप्रदेश निवेश क्षेत्र विकास एवं प्रबंधन अधिनियम-2013 की धारा 15 में बिना विकास अनुमति के कार्य नहीं किया जा सकता और इसके लिए एमपीआईडीसी अधिकृत भी है। इधर सूत्रों का कहना है कि कई ग्राम पंचायतों में काबिज सरपंच, सचिवों द्वारा अवैध विकास अनुमतियां जारी की जा रही है और ग्राम पंचायत की रसीदें भी काटी गई है, जिसके चलते जिला पंचायत सीईओ को भी पत्र लिखा गया है और अब सभी ऐसे जमीन मालिकों से अनुमतियों के दस्तावेज भी मांगे जा रहे हैं।

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