नई दिल्ली। आईआईटी जोधपुर (IIT Jodhpur) के वैज्ञानिकों ने नया सोध किया है जो महंगे ईधन से निजात दिलाने में सस्ते ईधन का विकल्प हो सकता है। IIT जोधपुर (IIT Jodhpur) के वैज्ञानिकों ने कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया (artificial photosynthesis process) से उच्च शुद्धता वाली हाइड्रोजन बनाने प्रक्रिया विकसित की है।
खबरों की मातने तो आईआईटी जोधपुर IIT Jodhpur के शोधकतार्ओं ने एक नई पद्धति विकसित करते हुए सूरज की रोशनी से पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में बदला है। यहां नैनोकम्पोजिट कैटेलिटिक मटीरियल्स का विकास किया गया है जो आर्टिफिशियल फोटोसिंथेसिस से अधिक शुद्ध हाइड्रोजन के उत्पादन में सहायक हैं। इस पद्धति में एक सस्ता, सरल ट्रांजिशन मेटल पर आधारित रीसाइक्लिबल कैटेलिस्ट का उपयोग किया गया।
संस्थान IIT Jodhpur के एसोसिएट प्रोफेसर राकेश के शर्मा के मुताबिक पेटेंट करवाई गई इस प्रक्रिया में प्राकृतिक रूप से मिलने वाली सूर्य की रोशनी का ऊर्जा के रूप में उपयोग होता है। इसके जरिए पानी से ऑक्सीजन और हाइड्रोजन को अलग किया जाता है। यह प्रक्रिया पेड़-पौधों की प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया जैसी है, वे भी पानी से हाइड्रोजन व ऑक्सीजन अलग कर कार्बन से प्रतिक्रिया करवा के कार्बोहाइड्रेट्स बनाते हैं। इसी लिए संस्थान द्वारा विकसित प्रक्रिया को कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण कहा जा रहा है।
आईआईटी मद्रास के छात्रों ने अपने संस्थान की पहली इलेक्ट्रिक फॉर्मूला रेसिंग कार आरएफ23 बनाई है। इसे सोमवार को लॉन्च किया गया। संस्थान की 45 विद्यार्थियों के रफ्तार ग्रुप ने इस पर एक वर्ष इसके डिजाइन, निर्माण और गहन परीक्षण पर काम किया।
छात्रों का दावा है कि यह कम्बशन मॉडल के मुकाबले ज्यादा तेज भी है क्योंकि इलेक्ट्रिक होने से इसे ज्यादा शक्ति देना संभव हुआ है। अब वे आरएफ23 के जरिए भारत की ओर से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व करना चाहते हैं। इसे फॉर्मूला स्टूडेंट प्रतियोगिताओं में उतारना चाहेंगे, जहां विश्व के प्रमुख इंजीनियरिंग संस्थानों से प्रतियोगिता होती है।
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