नई दिल्ली । भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली के स्टार्टअप चक्र इनोवेशन ने एन-95 मास्क को सुरक्षा के साथ दोबारा इस्तेमाल के योग्य बनाने वाली तकनीक विकसित की है।
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री, अश्विनी कुमार चौबे ने डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से चक्र डी-कोव” नामक इस डीकॉनटेमिनेशन डिवाइस को लॉन्च किया। यह इनोवेशन यानी चक्र डिकोव एक ऐसे समय में लॉन्च किया गया है जब देश को महामारी के खिलाफ अपनी लड़ाई को मजबूत करने के लिए इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि एन 95 मास्क का असुरक्षित पुन: इस्तेमाल स्वास्थ्य पेशेवरों के जीवन को खतरे में डाल सकता है। इसके अलावा, बायोमेडिकल कचरे में वृद्धि अतिरिक्त संक्रमण और पर्यावरणीय जोखिम का कारण बन सकती है। इन समस्याओं को हल करने के लिए आईआईटी दिल्ली-इनक्यूबेटेड स्टार्टअप ने चक्र डिकोव के रूप में एक अनूठी, कॉस्ट-इफेक्टिव तकनीक ईजाद की है जो सिर्फ 90 मिनटों में एन 95 मास्क को सुरक्षित व पुन: इस्तेमाल करने योग्य बनाने में मदद करता है। मास्क को केवल डेढ़ घंटे में साफ कर दोबारा 10 बार तक फिर से उपयोग किया जा सकता है।
एक कैबिनेट के आकार में डिजाइन चक्र डिकोव एक इनोवेटिव डिकंटेमिनेशन मैकेनिज्म के साथ बनाया गया है, जो एन95 मास्क के छिद्रों की सफाई के लिए ओजोन गैस की हाई पेनिट्रेबिलिटी का उपयोग करता है। साथ ही इसकी जटिल परतों का फुल कंटेमिनेशन सुनिश्चित करता है। ओजोन एक मजबूत ऑक्सीडाइजिंग एजेंट है जो प्रोटीन कोट के माध्यम से डिफ्यूज होता है और वायरस को नष्ट करता है। इसके परिणामस्वरूप वायरल आरएनए को नुकसान पहुंचता है। ओजोन की उचित खुराक और एक्सपोज़र से सार्स कोविड-2 को निष्क्रिय किया जा सकता है और बैक्टीरिया में 99.9999% की कमी हो सकती है। इसके बाद एन95 मास्क को फिल्ट्रेशन इफिशियंसी (एसआईटीआरए द्वारा परीक्षित) पर किसी भी प्रभाव के बिना 10 बार तक फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है। यूवी लाइट-बेस्ड डिकंटेमिनेशन के साथ आमतौर पर उपलब्ध सिस्टम में से कुछ शैडो इफेक्ट के कारण और एन-95 मास्क के छिद्रों से सीमित प्रवेश के कारण इतने प्रभावी नहीं रहते हैं।
आईआईटी दिल्ली के डायरेक्टर प्रो. वी. रामगोपाल राव ने कहा, “आईआईटी दिल्ली अपने तकनीकी कौशल के माध्यम से कोविड-19 समस्या का समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध है। जब बात अस्पतालों और हमारे चिकित्सा पेशेवरों की सेवा करने की आती है, तो उच्च गुणवत्ता वाले पीपीई किट प्रदान करना बेहद आवश्यक है। साथ ही साथ, बायोसेफ्टी के दृष्टिकोण से उनका संभावित दोबारा इस्तेमाल और सुरक्षित निपटान सुनिश्चित करना आवश्यक है। इस महामारी से उत्पन्न चुनौतियों को कम करने की दिशा में चक्र इनोवेशन को काम करते हुए देखना और इस प्रोडक्ट को डेवलप करना, हमारे लिए बेहद खुशी का विषय है।
तुषार बॉथम, वीपी इंजीनियरिंग के नेतृत्व में चक्र इनोवेशन की टीम ने आईआईटी दिल्ली में प्रोफेसरों और शोधकर्ताओं के करीबी मार्गदर्शन में इस प्रोडक्ट को विकसित किया है। आईआईटी दिल्ली के सेंटर फॉर बायोमेडिकल इंजीनियरिंग में इस टेक्नोलॉजी का परीक्षण किया गया है। सुरक्षा और विश्वसनीयता के लिए कठोर इन-हाउस परीक्षण किए हैं। वांछित सामग्री में वायरस निष्क्रियता (एन-95 मास्क सहित पारगम्य सामग्री) की प्रभावशीलता का परीक्षण आईसीएमआर-एनआईवी द्वारा किया गया है। ओजोन की वजह से मनुष्यों को होने वाले किसी भी खतरे के खिलाफ सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सिस्टम को बायोसेफ्टी डोर और एक कैटेलिटिक रिडक्शन सिस्टम के साथ डिज़ाइन किया गया है। वे पुणे में इस उत्पाद के लिए सफल पायलट चला रहे थे और अब अच्छी तरह से परीक्षण के बाद और विश्वसनीय उत्पाद का विनिर्माण करने के लिए तैयार हैं। स्टार्टअप इस प्रोडक्ट का सफल पायलट पुणे में कर रहा है और इस बहु परीक्षित व विश्वसनीय प्रोडक्ट को अब बड़े स्तर पर लोगों तक पहुंचाने के लिए तैयार है |
कुशाग्र श्रीवास्तव, सीईओ, चक्र इनोवेशन ने बताया चक्र डिकोव एक इनोवेटिव ओजोन-बेस्ड डिकंटेमिनेशन मैकेनिज्म के साथ विकसित किया गया है, जो अस्पताल के माहौल में आवश्यकतानुसार उच्च विश्वसनीयता और सुरक्षा के साथ प्रभावी डिकंटेमिनेशन सुनिश्चित करता है। हम यह भी मानते हैं कि हमारा प्रोडक्ट नोवल कोरोनवायरस का इलाज करते समय बायोमेडिकल वेस्ट को लेकर बढ़ती चिंताओं को हल करने में मदद करेगा। हमें अपने प्रोजेक्ट के लिए आईसीआईसीआई, कोल इंडिया और मिनरल एक्सप्लोरेशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड जैसे संगठनों से समर्थन मिला है, जिन्होंने विकास और पायलट प्रोजेक्ट के लिए फंडिंग की है।
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