इंदौर-अकोला फोर लेन रोड का मामला, सिमरोल में कुछ घर हुए थे क्षतिग्रस्त
इन्दौर। इंदौर-अकोला फोर लेन रोड प्रोजेक्ट के तहत सिमरोल के पास सुरंग बनाने के लिए अपनाई जा रही विधि और तौर-तरीके को आईआईटी इंदौर ने उचित माना है। हालांकि, कांट्रेक्टर एजेंसी को सलाह दी गई है कि वह एहतियातन विस्फोट की क्षमता कम कर दे, ताकि आसपास के घरों को नुकसान नहीं पहुंचे। अब कांट्रेक्टर विस्फोट से क्षतिग्रस्त हुए मकानों को मरम्मत करके जून से फिर ओपन ब्लास्टिंग का काम शुरू करने की तैयारी कर रहा है।
करीब दो-ढाई महीने से यह मामला उलझने के कारण सिमरोल में 500 मीटर लंबी सुरंग का काम बहुत धीमी गति से हो रहा था। सुरंग निर्माणस्थल के आसपास के रहवासियों ने यह कहते हुए विस्फोटों का विरोध किया था कि इससे उनके घरों की छतें और दीवारें क्षतिग्रस्त हो गई हैं। इसे देखते हुए कांट्रेक्टर एजेंसी मेघा इंजीनियरिंग ने ओपन ब्लास्टिंग पर रोक लगा दी थी और आईआईटी इंदौर की मदद ली थी। आईआईटी विशेषज्ञों ने दौरा कर अपनी रिपोर्ट एनएचएआई (नेशनल हाईवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया) और कांट्रेक्टर एजेंसी को सौंप दी है।
लक्ष्य से पिछड़ जाएगी कंपनी
इंदौर-अकोला फोर लेन प्रोजेक्ट के तहत एक सुरंग सिमरोल और दूसरी बाईग्राम के पास बनाई जाना है। बाईग्राम में 300 मीटर लंबी सुरंग बनाने के लिए वन और पर्यावरण विभाग की मंजूरी भी आ गई है और फिलहाल वहां एप्रोच का काम हो रहा है। विस्फोटों को लेकर विरोध के कारण कंपनी का टनल संबंधी काम पिछड़ गया है। पहले कंपनी ने तय किया था कि वह मानसून से पहले दोनों सुरंगों का निर्माण पूरा कर लेगी, लेकिन अब इसमें कम से कम जुलाई-अगस्त तक का समय हर हाल में लगेगा।
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