उज्जैन। कालिदास अकादमी परिसर स्थित प्राचीन कमल तालाब में सालों पहले कमल खिला करते थे लेकिन अनदेखी के चलते अब यहाँ पूरे साल गंदगी रहती है और आसपास के क्षेत्र का दूषित पानी तालाब में भरा रहता है। यहाँ हर साल गुड़ी पड़वा के अवसर पर कई संस्थाएँ चैत्र प्रतिपदा के कार्यक्रम आयोजित करती हैं। इसमें अब दो हफ्ते का समय शेष रह गया है फिर भी यहाँ साफ-सफाई शुरु नहीं हुई है। कोठी रोड स्थित कालिदास अकादमी परिसर में प्राचीन तालाब है। इस तालाब को कमल तालाब के नाम से भी पहचाना जाता है। पूर्व में यहाँ तालाब में सालभर स्वच्छ पानी भरा रहता था तथा इसमें कमल खिला करते थे। विद्यार्थी यहाँ पढऩे तथा शोध के लिए आया करते थे। तब इसकी देख रेख हुआ करती थी लेकिन पिछले कुछ सालों में यह पूरी तरह अनदेखा किया जा रहा है।
तालाब की नियमित सफाई नहीं होती, वहीं आसपास के रहवासी क्षेत्रों से सीवरेज का पानी इसी तालाब में आकर मिलता है। तालाब में निकासी नहीं होने के कारण यह पानी लंबे समय तक इसी में भरा रहता है। इस कारण तालाब का बारिश के दौरान भरा साफ पानी भी खराब हो जाता है। दूषित पानी में कमल नहीं खिल पाते। इधर नियमित साफ-सफाई नहीं होने के कारण भी तालाब के आसपास लगे पेड़ पौधों की पत्तियाँ और कचरा भी इसी तालाब में समा जाता है और गंदगी भर जाती है। इन्हीं सब कारणों के चलते तालाब में अब कमल खिलते नहीं दिखाई देते। हर साल गुड़ी पड़वा प्रतिपदा वाले दिन कई संस्थाएँ यहाँ सूर्य को अध्र्य देने के कार्यक्रम आयोजित करती हैं। इसके दो-तीन दिन पहले ही पूरे तालाब और परिसर की कुछ साफ-सफाई होती है। इसके बाद इसकी ओर कोई ध्यान नहीं देता। सिंहस्थ में भी इस तालाब को साफ किया गया था और यहाँ रंगाई-पुताई भी हुई थी। आगामी दो अप्रैल को गुड़ी पड़वा का पर्व आ रहा है इसमें अब करीब दो सप्ताह का समय शेष रह गया है लेकिन अभी तक कमल तालाब परिसर की साफ-सफाई शुरु नहीं हुई है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved