ढाका। डेमोक्रेसी समिट में बांग्लादेश की अनदेखी करने और उसके प्रमुख अर्ध सैनिक बल- रैपिड एक्शन बटालियन (आरएबी) के सात पूर्व और वर्तमान अफसरों पर प्रतिबंध लगाने के बाद अब अमेरिका ने आतंकवाद के मुद्दे पर बांग्लादेश की तारीफ की है। इससे यहां राहत महसूस की गई है। अमेरिका के पहले दोनों कदमों से बांग्लादेश में गहरी चिंता और नाराजगी पैदा हुई थी।
आतंकवाद के प्रति शून्य सहनशीलता की नीति
अमेरिका ने आतंकवाद पर अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि बांग्लादेश सरकार ने आतंकवाद के प्रति शून्य सहनशीलता की नीति जारी रखी है। इसकी वजह से पिछले साल वहां आतकंवादी गतिविधियों में गिरावट आई। साथ ही आतंकवाद से जुड़ी जांच और गिरफ्तारियों में बढ़ोतरी हुई। रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश में आतंकवादियों के बारे में राष्ट्रीय स्तर की अलर्ट लिस्ट तैयार करने के लिए अमेरिका और बांग्लादेश साझा कोशिश कर रहे हैं।
अमेरिका इसके लिए बांग्लादेश में तकनीकी क्षमता विकसित कर रहा है। बांग्लादेश सरकार से सूत्रों ने कहा है कि ये अमेरिकी रिपोर्ट बांग्लादेश की सफलता का प्रमाणपत्र है। बांग्लादेश सरकार ने इस साल जनवरी में आतंकवाद विरोधी एक नई राष्ट्रीय एजेंसी बनाई थी। अब वह आतंकवाद विरोधी कार्रवाइयों की अग्रणी एजेंसी बन गई है।
इस बीच ये खबर आई है कि आरएबी के अधिकारियों पर लगाए गए अमेरिकी प्रतिबंध के मामले में बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमिन और अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने फोन पर बात की है। मोमिन ने यहां गुरुवार को कहा- ‘मैंने देश की भावना उन्हें बताई। मैंने उन्हें बताया कि बांग्लादेश की जनता ने इस अमेरिकी कदम को स्वीकार नहीं किया है। यहां के लोग ऐसे कदमों को पसंद नहीं करते।’
ब्लिंकेन ने मोमिन को किया फोन
पर्यवेक्षकों का कहना है कि आरएबी अधिकारियों पर लगी पाबंदियों को लेकर बांग्लादेश ने जो लॉबिंग की, उसका असर हुआ है। इसी वजह से ब्लिंकेन ने मोमिन को फोन किया। बातचीत के दौरान ब्लिंकेन ने इस धारणा को तोड़ने की कोशिश की कि अमेरिका ने बांग्लादेश के प्रति अपना नजरिया बदल लिया है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने वाशिंगटन में इस बातचीत के बारे में जानकारी की।
उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री ब्लिंकन ने बातचीत के दौरान बांग्लादेश के साथ विकास, आर्थिक वृद्धि, और सुरक्षा के मसलों पर अमेरिका की पुरानी साझेदारी की फिर से पुष्टि की। प्राइस ने बताया- ‘दोनों नेताओं ने मानवाधिकारों के महत्त्व पर बात की। उनके बीच सहमति बनी कि वैश्विक चुनौतियों को हल करने के लिए दोनों देश आपसी सहयोग को मजबूत करेंगे।’
बांग्लादेश सरकार की तरफ जारी बयान में कहा गया है कि विदेश मंत्री मोमिन ने अमेरिका के ‘एकतरफा कदम’ पर निराशा जताई। उन्होंने ध्यान दिलाया कि बांग्लादेश सरकार से बिना कोई राय-मशविरा किए अमेरिका ने सीधे अफसरों पर प्रतिबंध लगाने का एलान कर दिया।
इसके पहले बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी राजदूत को बुला कर इस कदम पर विरोध जताया था। सरकारी सूत्रों के मुताबिक उस समय अमेरिकी राजदूत ने कहा था कि अमेरिका और बांग्लादेश के संबंध दोनों देशों के फायदे में हैं। अमेरिका की इच्छा बांग्लादेश के साथ करीबी रिश्ता बनाए रखने की है।
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