भोपाल। प्रदेश के पूर्व परिवहन आयुक्त वी मधुकुमार का उज्जैन आईजी रहते अफसरों से लिफाफा लेते हुए वीडियो वायरल होने के मामले की लोकायुक्त ने जांच शुरू कर दी है। ऐसे में 10 साल पहले उज्जैन के पूर्व आईजी पवन जैन को लिफाफे में घूस देने वाले निरीक्षक का मामला भी फिर सुर्खियों में आ गया है। क्योंकि आईजी पवन जैन ने घूस का प्रयाय करने वाले बडौड के तत्कालीन थाना प्रभारी एसपीएस भदौरिया को घूस देने की कोशिश करने के आरोप में नौकरी से बर्खास्त करवा दिया था। हालांकि बाद में तत्कालीन डीजीपी सुरेन्द्र कुमार राउत ने अपने अधिकार का उपयोग करते हुए बर्खास्त निरीक्षक को फिर से नौकरी पर बहाल कर दियाथा।
शाजापुर जिले के बडौड थाने के तत्कालीन प्रभारी एसपीएस सिसोदिया ने 3 मार्च 2010 को होली के अवसर पर उज्जैन के पूर्व आईजी पवन जैन (वर्तमान में संचालक खेल)को शाम करीब साढ़े पांच बजे भेंट के दौरान लिफाफा दिया था। जिसमें रुपए रखे हुए थे। जो कि भ्रष्टाचारिक कदारण की श्रेणी में माना गया। आईजी ने इस मालमे की जांच के आदेश दिए। जांच में पता चला कि थाना प्रभारी सिसोदिया को थाना मुख्यालय छोडऩे की अनुमति नहीं थी। वे बिना अनुमति से उज्जैन गए थे। सिसौदिया ने उज्जैन से लौटकर बडौड में वापसी क्रमांक 105/3मार्च 2010 में गलत जानकारी एवं अनर्गल बातों का उल्लेख कर पुलिस रेग्युलेशन के पैरा 634 में वर्णित निर्देशों का उल्लंघन कर गंभीर कदाचरण किया। पूरी घटना की जांच रिपोर्ट के आधार पर थाना प्रभारी को नौकरी से बर्खास्त कर दिया था। बाद में उन्होंने परिवार के जीवन निर्वहन का हवाला देकर पुलिस महानिदेशक एसके राउत के समक्ष दया याचिका लगाई थी। डीजीपी ने अपने अधिकार का उपयोग करते हुए भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्त थाना प्रभारी को फिर से पुलिस में नौकरी पर रख लिया था।
तब डीजीपी के फैसले पर उठे थे सवाल
चूंकि मामला आईजी से सीधे रिश्वत की पेशकश करने एवं बिना अनुमति के थाना छोड़कर जाने से जुड़ा और पुलिस रिकॉर्ड में पुलिस रेग्युलेशन के निर्देशों का उल्लंघन से जुड़ा था। ऐसे अपराध में बर्खास्त थाना प्रभारी को फिर से नौकरी पर बहाल करने का फैसला डीजीपी एसके राउत ने किया था। जिस पर पुलिस महकमे में सवाल भी उठे थे। पीएचक्यू सूत्रों ने बताया कि राउत ने रिटायरमेंट से कुछ समय पहले ही बर्खास्त थानेदार को बहाल किया था।
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