भोपाल। जबलपुर में पांच साल पहले टिंबर कारोबारी से 45 लाख रुपए की कथित घूस की मांग करने वाले आईएफएस अजीत श्रीवास्तव ने वन विभाग के प्रमुख सचिव एवं मुख्य सचिव को कोर्ट में ले जाकर खड़े करने वाले हैं। श्रीवास्तव की याचिका पर कैट ने 14 सितंबर को वन विभाग के प्रमुख सचिव अशोक वर्णबाल एवं मुख्य सचिव इकबाल सिह वैंस को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने को कहा है। श्रीवास्तव ने घूस के कथित ऑडियो को लेकर उनके खिलाफ की गई कार्रवाई को लेकर कैट में चुनौती दी है।
श्रीवास्तव का दिसंबर 2015 में जबलपुर सीसीएफ रहते टिंबर कारोबारी अशोक रंगा से मामला रफा-दफा करने के लिए 45 लाख की घूस मांगने का कथित ऑडियो वायरल हुआ था। रंगा ने इसकी शिकायत जबलपुर लोकायुक्त में थी। लेकिन इस मामले में लोकायुक्त के हाथ कुछ नहीं लगा था। तब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तत्कालीन प्रमुख सचिव गृह बीपी सिंह की अध्यक्षता में जांच कमेटी थी। जिसमें तत्कालीन पीसीसीएफ जितेन्द्र अग्रवाल भी शामिल थे। जांच कमेटी ने अजीत श्रीवास्तव के खिलाफ घूस से जुड़ा तथ्य जांच में नहीं पाया था, लेकिन उनके कृत्य को अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी के अनुरूप नहीं पाया। जांच रिपोर्ट के आधार पर वन विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव दीपक खांडेकर ने श्रीवास्तव के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का प्रस्ताव बनाकर मुख्यमंत्री को भेजा था। जिस पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने श्रीवास्तव की वेतन वृद्धि रोकने के प्रस्ताव अनुमोदित किया था। इसके बाद प्रदेश में सरकार बदली तो मुख्यमंत्री कमलनाथ से भी यह कहकर सजा माफ करने की गुहार लगाई थी कि पिछले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उनके साथ न्याय नहीं किया। श्रीवास्तव के खिलाफ जाचं रिपोर्ट देखने के बाद कमलनाथ ने भी शिवराज सिंह चौहान के फैसले पर ही मुहर लगाई थी। मुख्यमंत्री के फैसले के बाद श्रीवास्तव की डीपीसी रोकने के लिए वन विभाग ने यूपीएससी को प्रस्ताव भेज दिया। इस बीच श्रीवास्तव ने कैट में याचिका लगाई कि विभाग ने उन्हें सिर्फ अनुशासनहीनता का नोटिस दिया था। जिसके आधार पर वेतन वृद्धि रोकने की कार्रवाई नहीं की जा सकती है। श्रीवास्तव की याचिका पर कैट ने यूपीएससी से फाइल तलब की है। साथ ही मप्र सरकार से भी जवाब तलब किया है। जवाब नहीं मिलने पर कैट ने 14 सितंबर केा होने वाली अगली सुनवाई में प्रमुख सचिव एवं मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने को कहा है। अनुशासनात्मक कार्रवाई के बीच अजीत श्रीवास्तव मुख्य संरक्षक से अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक के पद पद पदोन्नत भी हो गए हैं।
यह था पूरा प्रकरण
जबलपुर के मुख्य वन संरक्षक अजीत श्रीवास्तव पर टिंबर व्यापारी अशोक रंगा ने 45 लाख की कथित घूम मांगने का आरोप लगाया था। यह राशि लकड़ी से भरे ट्रकों को छुड़ाने के एवज में मांगी गई थी। साथ ही जमीन मांगने के आरोप भी लगे थे। अफसर के साथ टिंबर कारोबारी की अलग-अलग बात हुई थी। व्यापारी ने बातचीत को रिकॉर्ड कर लिया था। जिसे उसने पेन ड्राइव की मदद से वन विभाग तक पहुंचा दिया। जब मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचा तो जांच बैठाई गई थी। जांच में बताया कि सीसीएफ अजीत श्रीवासत्व ने व्यापारी रंगा को हर तरह से ब्लैकमेल करने की कोशिश की थी। उन्होंने इस मामले में व्यापारी के बेटे को भी घसीट लिया था। व्यापारी से कहा गया थी वन विभाग में मामले दस साल तक चलते हैं। ऐसे में सौदा कर लिया जाए नहीं तो बेटे की शादी भी नहीं की जा सकेगी। सीसीएफ को को जैसे ही पता चला कि रंगा ने इस पूरी सौदेबाजी को अपने फोन में रिकॉर्ड कर लिया है, तो वो व्यापारी के सामने गिड़गिड़ाने लगेण् लेकिन पीडि़त व्यापारी ने फिर भी ऑडियो विभाग को भेज दिया। उस समय आईएफएस अजीत श्रीवास्तव का बयान सामने आया था कि इस ऑडियो ने उनका कैरियर बर्बाद कर दिया है। उन्होंने व्यापारी पर ही पैसा देेकर मामला निपटाने का ऑफर देने के आरोप लगाए थे।
पूरा विभाग रहा चकरघिन्नी
आईएफएस अजीज श्रीवास्तव के मामले में मंत्रालय में पूरा वन विभाग चकरघिन्नी हो रहा है। खास बात यह है कि इस मामले में वन मुख्यालय से शासन को किसी तरह की मदद नहीं मिल रही है। पूरा वन मुख्यालय श्रीवास्तव के समर्थन में है। ऐसे में वन विभाग के प्रमुख सचिव अशोक वर्णवाल से लेकर मुख्य सचिव इकबाल सिंह वैंस तक परेशान है। यदि सरकार को हाईकोर्ट ने कैट के आदेश पर स्थगन नहीं मिला तो फिर दोनों अफसरों को कैट के सामने हाजिर होना पड़ेगा।
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