देश में अधिकतर लोग अपने टैक्स की गणना इनकम टैक्स (Income Tax) रिटर्न फाइल करते वक्त ही करते हैं। उन्हें पता चलता है कि उनकी टैक्स लाएबिलिटी उससे कहीं अधिक है, जितनी उन्होंने सोची थी। ऐसे में वह टैक्स बचाने की सारी कोशिशें करते हैं, लेकिन उतना काफी नहीं होता। कुछ ऐसे भी तरिकें है, जिनसे टैक्स बचाया जा सकता है। जिनसे आप अपना और अधिक टैक्स बचा सकते हैं। ये वो तरीके है, जिनके बारे में बहुत ही कम लोगों को पता होता है। इन तरीकों को अपनाने के लिए आपको पहले से तैयारी करके रखना होगी।
हर साल करें, थोड़ा-थोड़ा प्रॉफिट बुक (Profit Book)
कई लोगों जानकारी के अभाव में म्यूचुअल फंड (mutual fund) या शेयर बाजार से प्रॉफिट बुक करते समय एक ही साथ पूरा प्रॉफिट बुक कर लेते हैं। जैसे 4-5 साल बाद एक ही बार तगड़ा मुनाफा काट लेते हैं। ऐसे में उनके ऊपर टैक्स का बोझ अधिक पड़ जाता है। यहां बता दें कि 1 लाख रुपए तक के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर एक वित्त वर्ष में टैक्स नहीं लगता है। ऐसे में एक बार प्रॉफिट बुक करने के बजाय हर साल थोड़ा-थोड़ा प्रॉफिट बुक करते चलें, ताकि आपको मुनाफा टैक्स फ्री रहे।
लॉस में भी हो सकता है फायदा
लॉन्ग टर्म कैपिटल लॉस को सिर्फ लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के साथ ही एडजस्ट कर सकते हैं। ऐसे में आप कुछ लॉस भी करें, जिससे उसे एडजस्ट कर के टैक्स से बच सकें। ये सुनने में अजीब जरूर लग सकता है, लेकिन फायदे वाला तरीका है। हालांकि, आपको ये कैल्कुलेट करना होगा कि कितना लॉस होने से आपका टैक्स भी बच जाए और आपको अधिक नुकसान ना झेलना पड़े। लॉस बुकिंग के जरिए आप अपने पोर्टफोलिया को कमजोर स्टॉक्स को बाहर कर सकते हैं या फिर नुकसान झेल रही कंपनी का स्टॉक बेच सकते हैं और बाद में जब कीमत गिरे तो शेयर फिर से खरीद सकते हैं।
इन बॉन्ड्स से बचाएं टैक्स
एक घर को बेचने से हुए कैपिटल गेन पर टैक्स बचाने के लिए दूसरा घर खरीदना फायदे का सौदा होता है, लेकिन 54ईसी बॉन्ड्स में भी निवेश कर के यही फायदा उठा सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इन बॉन्ड्स से मिले रिटर्न पर कोई टीडीएस नहीं लगता है। आप घर बेचने से हुए कैपिटल गेन को अलग-अलग हिस्सों में 54ईसी बॉन्ड्स में निवेश कर सकते हैं। ध्यान रहे, ये निवेश घर बेचने के 6 महीने के अंदर-अंदर कर लें। ये पीएसयू यूनिट के बॉन्ड होते हैं, जो सुरक्षित निवेश होते हैं। हालांकि, इन बॉन्ड से जुड़े कुछ प्रतिबंध भी हैं। पहला तो यही है कि इसे 5 साल तक ट्रांसफर नहीं किया जा सकता, यानी कि पैसे 5 साल के लिए लॉक हो जाएंगे। दूसरा ये कि इसमें अधिकतम 50 लाख रुपए तक ही निवेश हो सकता है और अधिकतम 50 लाख रुपए तक पर ही टैक्स छूट मिल सकती है।
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