नई दिल्ली. ज्योतिष शास्त्र(Astrology) के मुताबिक शनि देव का इंसान के कर्म और आजीविका से सीधा कनेक्शन है. कोई भी व्यक्ति बिना शनि की कृपा से अच्छी नौकरी नहीं कर सकता है. साथ ही शनि की कृपा के बिना ना तो विवाह हो सकता है और ना ही संतान. इसके अलावा शनि देव (Shani Dev) इंसान को भौतिक सुख और आध्यात्मिक शक्ति (Material Pleasure and Spiritual Power) भी प्रदान करते हैं. कहते हैं कि अगर शनि देव प्रसन्न हों तो सारे बिगड़े काम बन जाते हैं. ऐसे में जानते हैं कि शनि देव को प्रसन्न करने के लिए कौन से काम करने चाहिए.
शनि देव को प्रसन्न करने के लिए क्या करें?
मान्यता है कि शनि देव को प्रसन्न करने के लिए सूर्योदय से पहले पीपल में जल अर्पित करना चाहिए. कई धार्मिक ग्रथों में उल्लेख किया गया है कि जो इंसान सूर्योदय(sunrise) से पूर्व पीपल में जल चढ़ाता है उस पर शनि की महादशा का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. कहते हैं कि ये वरदान भगवान ब्रह्माजी(Lord Brahma) द्वारा दिया गया है.
पिप्पलाद ने की थी तपस्या
महर्षि दधीचि के पुत्र पिप्पलाद ने एक बार ब्रह्मा जी की घोर तपस्या की. पिप्पलाद की तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने उन्हें वर मांगने के लिए कहा. ब्रह्माजी ने पिप्पलाद की इच्छा पूर्ति करते हुए उन्हें उनकी दृष्टि से अन्य प्राणियों के जल जाने का आशीर्वाद दिया. कहा जाता है कि ऐसा वर पाने के बाद पिप्पलाद ने शनि देव को बुलाया और अपनी दृष्टि मात्र से उन्हें जलाने लगे.
बच्चों पर नहीं होती शनि की महादशा
कथा यह भी है कि शनि देव की महादशा की वहज से ही दधीचि ने बज्र बनाने के लिए अपना शरीर दान किया. जिस कारण उनकी पत्नी सती हो गई. साथ ही दधीचि के पुत्र पिप्पलाद अनाथ हो गए. पिप्पलाद पर भी शनि की महादशा थी. इस अवस्था को देखकर भगवान ब्रह्माजी ने उसे रोका और फिर से वर मांगने के लिए कहा. जिसके बाद पिप्पलाद ने दो वर मागें, जिसमें पहला वर था कि जन्म से 5 वर्ष की उम्र के बच्चों की कुंडली मे शनि की कोई दशा नहीं रहेगी और न ही शनि का कोई प्रभाव रहेगा.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम इसकी पुष्टि नहीं करते है.)
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