नई दिल्ली: डायबिटीज एक ऐसी हेल्थ कंडीशन है, जो शरीर में कई तरह की समस्याओं की वजह बन सकता है. प्री-डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों में शुगर बढ़ने के लक्षण तुरंत सामने नहीं आते हैं, लेकिन बाद में चलकर ये गंभीर रूप ले लेती है.
इन बीमारियों का खतरा : डायबिटीज की कंडीशन में शरीर की भोजन को एनर्जी में बदलने की क्षमता प्रभावित होती है. डायबिटीज के मरीजों में पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बन पाता या फिर इसका इस्तेमाल नहीं हो पाता है. शरीर में बीटा सेल्स इंसुलिन के प्रति रिस्पॉन्ड करना बंद कर देते हैं जिससे ब्लड शुगर लेवल हाई हो जाता है. डायबिटीज की वजह से हृदय रोग, आंखों की रोशनी का चले जाना और किडनी से जुड़ी बीमारियों का खतरा रहता है.
डायबिटीज के लक्षण : हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, डायबिटीज लाइफ लॉन्ग डिजीज है, लेकिन वजन कंट्रोल में करने से, हेल्दी डाइट और फिजिकली एक्टिव रहकर आप इस पर कंट्रोल रख सकते हैं. चूंकि डायबिटीज के शुरुआती लक्षण पहचान में नहीं आते, इसलिए जरूरी है कि आप इस बीमारी के लक्षणों को समझें और शुरुआत में ही इन पर गौर कर अपना ख्याल रखें.
डायबिटीज के लक्षण अलग-अलग लोगों में अलग अलग हो सकते हैं. इसलिए जानें कि कौन से लक्षणों पर आपको ध्यान देना चाहिए.
डायबिटीज के तीन रूप : एक्सपर्ट्स के मुताबिक, डायबिटीज के तीन रूप हैं. पहला टाइप 1 डायबिटीज, दूसरा टाइप 2 डायबिटीज और तीसरा जेस्टेशनल डायबिटीज.
टाइप 1 डायबिटीज: इस स्थिति में शरीर इंसुलिन बनाना बंद कर देता है. ये ऑटो-इम्यून रिएक्शन की वजह से होता है.
टाइप 2 डायबिटीज : इस स्थिति में शरीर इंसुलिन का इस्तेमाल ठीक तरह से नहीं कर पाता जिससे ब्लड शुगर कंट्रोल में नहीं रहता. ये बीमारी व्यस्कों में होती है. लाइफस्टाइल में बदलाव से टाइप टू डायबिटीज के मरीजों को फायदा मिलता है.
जेस्टेशनल डायबिटीज : कई बार गर्भवती महिलाओं में ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है, इसे जेस्टेशनल डायबिटीज कहते हैं. हालांकि डिलीवरी के बाद ये बीमारी नहीं रहती, लेकिन कई मामलों में आगे चलकर टाइप 2 डायबिटीज होने की संभावना रहती है.
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