• img-fluid

    उंगली उठाओगे तो सर शर्म से झुक जाएगा… किसने कितनी गाय पाली कोई बता नहीं पाएगा…

  • March 04, 2022

    गाय हमारी माता है, लेकिन केवल दूध पीना आता है… जब तक दूध दे उसे खिलाया-पिलाया, पाला-पोसा जाता है… जितना दूध घटे उतना चारा घटाया जाता है… और न दे पाए तो मरने के लिए छोड़ दिया जाता है… ऐसी गायों को पालने के लिए कोई आगे आए.. अपना प्रेम जताए… संस्कृति का अलख जगाए तो उसे निशाना बनाया जाता है… गायों का हत्यारा कहा जाता है… लेकिन उंगली उठाने वाला यह नहीं बता पाता है कि उसने कितनी गायों को चारा खिलाया.. कितनी गायों को सडक़ों से उठाया… कितनी गायों का अंतिम संस्कार कराया… कंकालों को गिनने वाले संवेदनाओं के कितने कंगाल हैं कि वो केवल दूध पीना जानते हैं, लेकिन दूध न दे पाने वाली गाय की हालत समझ नहीं पाते हैं… वो कचरा खाकर दिन गुजारती हैं… कम खाकर पेट पालती हैं… फिर कमजोर होकर समय से पहले मर जाती हंै… मौत के बाद उनकी दुर्दशा और बढ़ जाती है… उनके शरीर को गिद्ध नोंच-नोंचकर खा जाते हैं और कंकाल खेतों में पड़े रह जाते हैं… उंगलियां गोशालाओं पर उठाई जाती हैं… लेकिन उन गोशालाओं की हकीकत नहीं समझी जाती है… इंदौर शहर में 12 सरकारी और 32 निजी गोशालाएं हैं, जिन्हें एक गाय को पालने के लिए केवल 20 रुपए दिए जाते हैं… इतने पैसे  चारा तो दूर पानी पिलाने में लग जाते हैं… यह गोशालाएं  अपनी जेब  और दान के पैसों से गायें पालती हैं… और जितना पैसा हो, उतनी पेट पूजा हो पाती है… गायों को जिंदा रखने की मशक्कत में जब गायें बीमार हो जाती हैं तो उनके इलाज की कोई व्यवस्था नहीं हो पाती है… इलाज कराएं भी तो दवा नहीं आ पाती है… कमजोर, निरीह और बेबस गायें समय से पहले काल-कवलित हो जाती हैं… गायों की यह दुर्दशा केवल इस शहर, इस प्रदेश में ही नहीं बल्कि देशभर में नजर आती है…  गायों में 33 कोटि देवी-देवता निहारने वाला हिंदू समाज दूध के बिंदु से उबर नहीं पाता है, इसलिए गायों के प्रति समाज का प्रेम केवल ढोंग बनकर रह जाता है.. एक समय था जब हर घर की एक रोटी गाय के नाम रखी जाती थी और दूसरी रोटी श्वान को खिलाई जाती थी… अब हालत यह है कि गांवों में इंसान को खाने के लिए दो रोटी मुश्किल से मिल पाती है और शहरों की गायें गांवों में हकाल दी जाती हैं… सरकारें गायों के कंकाल मिलने पर संवेदनशील हो जाती हैं… जनता उत्तेजित नजर आती है… कांग्रेसी उंगली उठाते हैं लेकिन वे इस सच पर शर्म से सर नहीं झुकाते हैं कि पांच दशक से ज्यादा देश और प्रदेश की सत्ता में काबिज रहकर भी वो गायों को पालने की व्यवस्था नहीं कर पाए… 20 रुपए के चंदी-चारे से उबर नहीं पाए… अंतिम संस्कार की व्यवस्थाएं नहीं कर पाए…. उन गोशालाओं पर उंगली उठाई जा रही है… उनके संचालकों पर मुकदमे कायम किए जा रहे हैं… उन्हें कठघरे में खड़ा किया जा रहा है,  लेकिन कोई अपने दूध का कर्ज चुकाता नजर नहीं आ रहा है…

    Share:

    गिरोह का मास्टर माइंड अपंग व्यक्ति, अंग्रेजी बोलने वाली महिला से करते हैं शादी

    Fri Mar 4 , 2022
    महिला प्रोफेसर से 34 लाख की ठगी में पकड़ाए झारखंड के ठग ने खोले राज इंदौर। केवाईसी अपडेट (KYC Update) के नाम पर इंदौर की महिला प्रोफेसर वंदना मिश्रा (Professor Vandana Mishra) से 34 लाख की ठगी में साइबर सेल ने झारखंड के हरीश दास को गिरफ्तार किया है। उसका कहना है कि उसके गांव […]
    सम्बंधित ख़बरें
  • खरी-खरी
    गुरुवार का राशिफल
    मनोरंजन
    अभी-अभी
    Archives
  • ©2024 Agnibaan , All Rights Reserved