उज्जैन। ईडब्ल्यूएस और एलआईजी मकानों में लगे स्मार्ट मीटरों में सैकड़ों यूनिट की खपत आ रही है और हजारों के बिल थमाए जा रहे हैं। विद्युत मंडल के झोन कार्यालयों पर इसकी शिकायत और मीटर बदलने के सैकड़ों आवेदन रोज आ रहे हैं। भारी भरकम बिल के कारण लोग अब स्मार्ट मीटर से डरने लगे हैं। उल्लेखनीय है कि लोगों की सुविधा और हर महीने रीडिंग के झंझट से छुटकारे के नाम पर दो साल पहले से विद्युत वितरण कंपनी ने उपभोक्ताओं के यहां पुराने मीटर निकालकर बिजली के नए स्मार्ट मीटर लगाए थे। यह मीटर अब गरीब और मध्यम वर्गीय उपभोक्ताओं को डरा रहे हैं। हालांकि शुरूआत में जब बिजली कंपनी ने स्मार्ट मीटर लगाना शुरू किया था तभी इसका विरोध शुरू हो गया था। क्योंकि कई उपभोक्ताओं के यहां खपत से ज्यादा यूनिट आने और कई जगह स्मार्ट मीटर में आग लगने की घटनाएं घटी थी। शहर में उस दौरान कांग्रेस पार्टी ने भी इसका विरोध किया था और वार्ड स्तर पर प्रदर्शन भी हुए थे। उसके बाद बिजली कंपनी ने इन मीटरों में तकनीकि सुधार करने के बजाए कुछ महीने स्मार्ट मीटर लगाने का अभियान स्थगित कर दिया था। इसके बाद मामला शांत हुआ तो फिर से स्मार्ट मीटर लोगों के यहां लगाए जाने लगे। विद्युत वितरण कंपनी ने दावा किया था कि उपभोक्ताओं के यहां स्मार्ट मीटर लगने से जहां एक ओर बिजली चोरी रूकेगी वहीं उपभोक्ताओं को भी इससे फायदे होंगे। उन्हें हर महीने मीटर रीडिंग के लिए मीटर रीडर का इंतजार नहीं करना पड़ेगा और वे स्मार्ट मीटर में प्रतिदिन हो रही खपत का आंकलन भी देख सकेंगे। लोगों का कहना है कि जबसे स्मार्ट मीटर लगे हैं उनके एक या दो कमरों के मकानों में हजारों रुपए के बिल हर महीने आ रहे हैं। शिकायत करने पर बिजली विभाग के अधिकारियों का एक ही जवाब रहता है कि बिजली का उपयोग किया होगा तभी तो इतना बिल आ रहा है। यही कारण है कि परेशान हो चुके उपभोक्ताओं द्वारा स्मार्ट मीटर बदलने के आवेदन रोज झोन कार्यालयों पर दिए जा रहे हैं।
पीएम आवास के मकानों को भी नहीं बक्क्ष रहे
इधर बिजली कंपनी लगातार शेष रहे क्षेत्रों में पुराने मीटर निकालकर नए स्मार्ट मीटर लगा रही है। वहीं दूसरी और स्मार्ट मीटर में गड़बड़ी की शिकायतें बढ़ती जा रही है। हालत यह है कि आगर रोड सहित इंदौर रोड और देवास रोड क्षेत्र की नई बनी कॉलोनियों में नियमानुसार जो गरीब और निम्न आय वर्ग के लिए ईडब्ल्यूएस और एलआईजी मकान बनाए गए हैं तथा इनमें रह रहे लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लाभ भी दिया जा रहा है। ऐसे एक कमरा और एक किचन तथा वन बी.एच.के. मकानों में भी लगाए गए स्मार्ट मीटरों में हर महीने सैकड़ों यूनिट की खपत बताई जा रही है। लोगों का आरोप है कि एक या दो कमरे के मकान में स्मार्ट मीटर से पहले उनके मीटर रोजाना औसतन 2 से 3 यूनिट तक की खपत बताते थे। वहीं अब स्मार्ट मीटर में 5 से 10 यूनिट तक दर्शाई जा रही है। ऐसे में उन्हें बिजली के बिलों में दी जाने वाली 150 यूनिट से कम मासिक खपत पर मिलने वाली सब्सिडी भी नहीं मिल पा रही है। उल्टे हजारों रुपए के बिल थमाए जा रहे हैं।
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