नई दिल्ली: देश में कोरोना के खिलाफ टीकाकरण अभियान तेज गति से चल रहा है. जल्द ही भारत कोविड वैक्सीन (Covid Vaccine) की सौ करोड़ डोज लगाने वाला देश बन जाएगा. हालांकि बड़ी संख्या में पहली डोज ले चुके लोगों से लगातार दूसरी डोज जरूर लेने की अपील की जा रही है. देश में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो या तो दूसरी डोज (Vaccine Second Dose) लेना भूल गए हैं या उन्हें तय समय पर डोज लेने में देरी हो गई है.
ऐसे में स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना से शत-प्रतिशत सुरक्षा के लिए दूसरी डोज लगवाना बेहद जरूरी है. इस संबंध में आईसीएमआर (ICMR) के राष्ट्रीय असंचारी रोग कार्यान्वयन अनुसंधान संस्थान ( नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर इम्पलीमेंटेशन ऑन नॉन कम्यूनिकेबल डिजीज ) जोधपुर स्थित डॉ.अरुण शर्मा ने बातचीत में बताया कि कोविड टीकाकरण (Covid Vaccination) की निर्धारित व्यवस्था के तहत पहली डोज लेने के बाद दूसरी डोज लेने के लिए आपको संदेश के जरिए सूचना दी जाती है.
यह संदेश तब तक लगातार भेजा जाता है जब तक की आप कोविड वैक्सीन की दूसरी डोज न ले लें और आपका संपूर्ण टीकाकरण का प्रमाणपत्र न तैयार हो जाए. इसके बावजूद भी अगर कोई व्यक्ति दूसरी डोज के लिए निर्धारित समय के बाद भी वैक्सीन नहीं ले पाता है या भूल जाता है तो इस स्थिति में विशेषज्ञ की सलाह की सलाह ली जा सकती है.
डॉ. शर्मा कहते हैं कि व्यक्ति के पास एक तो ये विकल्प है कि वह तय समय गुजरने के बाद भी वैक्सीन की दूसरी डोज लगवा ले. अगर वह ऐसा नहीं करता है तो वह चिकित्सक से सलाह लेकर एंटीबॉडी जांच (Antibody Test) करा सकता है. इस दौरान अगर कोविड के खिलाफ एंटीबॉडी नहीं बनी हैं या बहुत कम मात्रा में एंटीबॉडी बनी हैं तो वह पहली डोज से दोबारा टीकाकरण भी करा सकता है. हालांकि इसके लिए डॉक्टर की सलाह लेनी होगी.
डॉ. अरुण कहते हैं कि अभी तक इस मुद्दे पर कोई रिसर्च या अध्ययन नहीं हुआ है और न ही कोई गाइडलाइन आई है कि एंटीबॉडी अगर नहीं बनी है और टीकाकरण में देरी हुई है तो दोबारा से वैक्सीनेशन (Re-Vaccination) शुरू किया जाए. इसके अलावा जो एक मुख्य वजह यह भी है कि देश में हर एक व्यक्ति को वैक्सीन की पहली डोज तो कम से कम लगाई जाए और वैक्सीन को बर्बाद न किया जाए तो ऐसे में हो सकता है कि पहली डोज से टीकाकरण करने की चिकित्सक सलाह दे. हालांकि निजी रूप से वैक्सीनेशन कराया जाता है तो उसका कोई नुकसान नहीं है और दोबारा से वैक्सीन लगवाई जा सकती है.
दूसरी डोज इसलिए भी है बेहद जरूरी
डॉ. शर्मा कहते हैं कि कोविड वैक्सीन की पहली डोज के बाद आंशिक रूप से एंटीबॉडी बनती हैं. एंटीबॉडी टाइटर जांच से इस बात का पता लगता है कि वैक्सीन लेने के बाद शरीर में कितनी प्रतिशत एंटीबॉडी बनी हैं. उदाहरण के लिए यदि वैक्सीन की पहली डोज लेने के बाद चालीस प्रतिशत एंटीबॉडी बनती है तो शेष साठ प्रतिशत एंटीबॉडी (Antibody) के लिए हमें कोविड वैक्सीन की दूसरी डोज लेनी ही होगी, जो हमें संक्रमण के प्रति शत प्रतिशत सुरक्षा देगी और वायरस के शरीर में प्रवेश करते ही उसे उसी जगह निष्क्रिय कर देगी.
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