ग्वालियरः स्वर्ण रेखा (Golden Line) मामले की सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की हाईकोर्ट (High Court) ने तल्ख टिप्पणी की और नाराजगी भी जताई. कोर्ट ने कहा, ‘पैसा (Money) नहीं है तो सरकार Goverment) बता दे कि सब कुछ बांट दिया. हम राज्य में फाइनेंशियल इमरजेंसी (Financial Emergency) घोषित कर देंगे. जस्टिस रोहित आर्य (Justice Rohit Arya) ने स्वर्ण रेखा नदी पर अब तक की कार्रवाई पर नाराजगी जताई है. जस्टिस रोहित आर्य ने कहा, ‘स्वर्ण रेखा नदी में क्या ट्रंक लाइन का प्लान है, पूरा प्लान दो. राज्य में रियासतकाल की सीवेज लाइनें चल रही हैं. लेकिन आप लोगों ने जो लाइन डाली है, वो ध्वस्त हो गयी है. अब खुराफाती काम नही होगा. 68 साल में ग्वालियर का सीवेज सिस्टम कहां खड़ा है. स्वर्ण रेखा नदी को नाला बना दिया, नाला बनकर चौक हो गया.’
इसके अलावा उन्होंने कहा, ‘मैं अपने आर्डर में सब लिखकर जाऊंगा. अब इस प्रोजेक्ट में कोई लिपापोती नहीं होगी. स्वर्ण रेखा नदी में कचड़ा न डाले उसके लिए 2 करोड़ का प्लान था. पिछले तीन महीने से स्मार्ट सिटी और निगम के बीच बॉल इधर से उधर हो रही है. जबकि एक मीटिंग में इतना खर्च कर देते हो. मध्य प्रदेश शासन के पास 2 करोड़ रुपए नहीं हैं. बात करते हो स्मार्ट सिटी बनाने की. वैसे बांटने के लिए हजारों करोड़ रूपए है, इससे बड़ी विडंबना क्या हो सकती है? इससे ज्यादा खर्चा तो एक बड़ी आमसभा में हो जाता है. अगर पैसे नहीं है तो सरकार बता दे कि सब कुछ बांट दिया. हम राज्य में फाइनेंशियल इमरजेंसी घोषित कर देंगे. 6 महीने से कागजी घोड़े दौड़ा रहे हैं? आप बताइए 2012 से 2024 तक सीवर को लेकर क्या-क्या काम किया है? कोर्ट ने स्वर्णरेखा मामले की अगली सुनवाई 12 अप्रेल तय की है.
बता दें कि ग्वालियर की स्वर्ण रेखा नदी को पुनर्जीवित करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में एक याचिका लगी हुई है, जिसपर लगातार सुनवाई हो रही है. इससे पहले हुई सुनवाई में कोर्ट ने सलाह दी थी कि जब तक सॉलिड वेस्ट खत्म नहीं होगा, तब तक नदी पुराने रूप में नजर नहीं आएगी.
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