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    माइग्रेन की समस्‍या से हैं परेशान तो आजमाएं ये सरल उपाय

  • October 31, 2024

    माइग्रेन एक ऐसी बीमारी है जिसमें असहनीय सिर दर्द होता है। आमतौर पर ये दर्द सिर के आधे हिस्से में होता है, लेकिन कभी-कभी ये सिर के पूरे हिस्से में भी फैल जाता है। माइग्रेन का दर्द (migraine pain) किसी भी वक्त उठ सकता है जिसे बर्दाश्त कर पाना बड़ा मुश्किल है। आइए आज आपको कुछ ऐसी बातों के बारे में बताते हैं जिनकी मदद से आपको माइग्रेन अटैक से राहत मिल सकती है।

    माइग्रेन की वजह को समझें-
    माइग्रेन के अटैक से बचने के लिए सबसे पहले उन वजहों को पहचानना जरूरी है जो इसे ट्रिगर कर रही हैं। अपने सिरदर्द को कभी इग्नोर न करें और ये जानने की कोशिश करें कि आपको कब माइग्रेन का दर्द उठता है। तेज गंध, डिहाइड्रेशन, एल्कोल (alcohol) का सेवन या बहुत ज्यादा स्ट्रेस की वजह से माइग्रेन का दर्द हो सकता है। कई बार मौसम बदलने या दूसरे कारणों से भी माइग्रेन का दर्द आपको घेर सकता है। इसके बारे में अच्छे से जानने के बाद आप इससे बचने के बेहतर उपाय तलाश सकेंगे।

    मेंस्ट्रुअल साइकिल-
    पुरुषों की तुलना में महिलाएं (Women) माइग्रेन का शिकार होती हैं। कुछ एक्सपर्ट्स कहते हैं कि महिलाओं के माइग्रेन में मेंस्ट्रुअल साइकिल की खास भूमिका हो सकती है। दरअसल कुछ महिलाओं को माइग्रेन का दर्द पीरियड्स के दौरान ही होता है। एक्सपर्ट मानते हैं कि पीरियड्स के दौरान प्रोजेस्टेरॉन और एस्टेरॉजेन (progesterone and estrogens) नाम के हार्मोन्स के लेवल में उतार-चढ़ाव भी माइग्रेन के दर्द को ट्रिगर कर सकता है। इस बारे में आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।



    शोर-शराबे से दूर रहें-
    कई बार तेज लाइट या शोरगुल भी माइग्रेन के दर्द को ट्रिगर कर सकता है। ऐसे में एक शांत माहौल सिरदर्द में आपके लिए बाम की तरह काम कर सकता है। माइग्रेन का अटैक पड़ने पर घर में ऐसी जगह ढूंढें जहां शांति हो। आप किसी पब्लिक लाइब्रेरी या शांत माहौल वाली जगहों पर भी जा सकते हैं।

    पौष्टिक खाना खाएं-
    क्या आप जानते हैं कि कुछ लोगों में खाने छोड़ने की वजह से भी माइग्रेन का दर्द बढ़ता है। एक्सपर्ट कहते हैं कि हर किसी को हेल्दी डाइट के लिए समय निकालना चाहिए जो आपके एनेर्जी लेवल को बूस्ट करता है। आपको अपने साथ हमेशा ऐसे हेल्दी स्नैक्स रखने चाहिए जो आसानी से आपके पर्स, बैग, कार या ऑफिस के ड्रॉअर में आ सकें।

    रोकथाम के विकल्प-
    अगर आपको महीने में कम से कम 15 दिन तक माइग्रेन का दर्द रहता है तो डॉक्टर्स आपको ‘क्रॉनिक माइग्रेन प्रीवेंशन मेडिकेशन’ का सुझाव दे सकते हैं। माइग्रेन की रोकथाम के लिए कई उपचार हैं। आपको बोटुलिनम टॉक्सिन के इंजेक्शन दिए जा सकते हैं जो आपके सिर में दर्द को एक्टिवेट होने से रोक सकते हैं।

    इसके अलावा, आपको उन चार नई दवाओं में से कोई एक आराम दे सकती है, माइग्रेन के दर्द को बढ़ाने वाले प्रोटीन को टारगेट करती हैं। इन्हें सीजीआरपी अवरोधक कहा जाता है। इनमें erenumab, fremanezumab और galcanezumab दवाओं को इंजेक्शन के माध्यम से दिया जाता है, जबकि चौथी और नई दवा का नाम eptinezumab है।

    सस्ती दवाओं का कमाल-
    माइग्रेन के शॉर्ट टर्म और हल्के दर्द से राहत पाने के लिए आप aspirin या ibuprofen जैसी दवाओं का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा combines caffeine और acetaminophen जैसे पेन रिलीवर भी आपकी दिक्कत कम कर सकते हैं। लेकिन दर्द ज्यादा होने पर आपको sumatriptan और rizatriptan जैसी कुछ खास दवाओं की जरूरत पड़ सकती है जो सिर में दर्द के रास्ते को ब्लॉक करने का काम करती हैं।

    परिवार की मदद लें-
    माइग्रेन के दर्द में परिवार का छोटा सा सहयोग भी आपको बड़ी राहत दे सकता है। जिस वक्त आपको ये दर्द उठता है तो परिवार को काम की तमाम जिम्मेदारी संभालनी चाहिए। इससे न सिर्फ आपका स्ट्रेस कम होगा, बल्कि शरीर को पर्याप्त आराम मिलने से माइग्रेन के दर्द में राहत भी मिलेगी।

    नींद-
    किसी इंसान के लिए पर्याप्त नींद आपकी सोच से भी ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकती है। बहुत कम लोग ये बात जानते हैं कि नींद की कमी से भी कुछ लोगों में माइग्रेन का दर्द बढ़ता है। अगर आपके साथ भी ये समस्या है तो अपनी स्थिति को बेहतर बनाने का काम करें। आपको अपने सोने-जागने के शेड्यूल पर काम करना चाहिए और पर्याप्त नींद लेने की कोशिश करनी चाहिए।

    कैसे करें अपनी देखभाल-
    ध्यान रखें कि स्ट्रेस एक कॉमन माइग्रेन ट्रिगर है। काम के साथ-साथ माइग्रेन को मैनेज करने से भी आपका तनाव बढ़ सकता है। अपने दिमाग पर और किसी चीज का बोझ ना बढ़ने दें। इसकी बजाए जिन चीजों से आपका स्ट्रेस लेवल कम हों, उनको प्राथमिकता दें। गहरी-लंबी सांस, बायोफीडबैक एक्सरसाइज या वर्कआउट स्ट्रेस कम करने के लिए मददगार हो सकते हैं। आप चाहें तो पसंदीदा म्यूजिक या मेडिटेशन की मदद से भी इसे कम कर सकते हैं।

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