नई दिल्ली: आमतौर पर कई लोगों को पेट के बल सोने (Sleeping on Stomach) की आदत है, लेकिन आपको ये बात जानकर हैरानी होगी इससे कुछ इंसानी जान को खतरा हो सकता है. वैज्ञानिकों की मानें तो मर्गी (Epilepsy) के मरीज जितनी जल्दी पेट के बल सोने की आदत छोड़ दें उतना ही बेहतर है.
मिर्गी के मरीजों को खतरा
पेट के बल सोने (Sleeping on Stomach) वाले मिर्गी से ग्रस्त मरीजों (Epilepsy Patient) में अचानक मौत का खतरा ज्यादा है. बच्चों की आकस्मिक मृत्यु के लक्षणों भी एक जैसे हैं. ये बात कुछ साल पहले एक रिसर्च में सामने आई थी मिर्गी एक दिमागी बीमारी है, जिसमें मरीज को बार-बार दौरे पड़ते हैं.
रिसर्च में चौंकाने वाले खुलासे
दुनियाभर में तकरीबन 5 करोड़ लोग इससे पीड़ित हैं. इलिनोइस (Illinois) में शिकागो यूनिवर्सिटी (University of Chicago) के डॉक्टर जेम्स ताओ (Dr. James Tao) के मुताबिक अनियंत्रित मिर्गी में मौत आमतौर पर सोने के दौरान ही होती है. इस रिसर्च के लिए शोधकर्ताओं ने 25 स्टडीज की समीक्षा की, जिसमें शामिल 253 अचानक मौत के मामलों में लोगों की शारीरिक स्थिति को दर्ज किया गया. इस स्टडी में पाया गया कि पेट के बल सोने के मामलों में 73 फीसदी लोगों की मौत हो गई, जबकि 27 फीसदी लोगों के सोने की स्थिति अलग थी।
कमर के बल सोएं
छोटे बच्चों के मामलों की तरह ही युवाओं में अक्सर मिर्गी के दौरे के बाद जागने की क्षमता नहीं होती, खास तौर से सामान्य दौरे में. जेम्स ताओ के मुताबिक, हमारे रिसर्च में मिर्गी से आकस्मिक मौत से बचाव के लिए एक अहम रणनीति को बताया गया है. ‘कमर के बल सोना’ ही सही रणनीति है. कलाई घड़ी और बेड अलार्म के इस्तेमाल से सोने के दौरान इस तरह की मृत्यु से बचाव में मदद मिल सकती है. ये स्टडी ऑनलाइन जर्नल न्यूरोलॉजी (Neurology) में छपी थी.
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