मुंबई। ज्योतिष शास्त्र (Astrology) के अनुसार, कुंडली में कमजोर ग्रहों के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए कुछ विशेष रत्नों को पहनना बेहद शुभ माना गया है। कहा जाता है कि राहु, केतु और शनि की अशुभ स्थिति से जीवन में कई कष्ट सहने पड़ते हैं और व्यक्ति का जीवन चारों ओर से परेशानियों से घिरा रहता है। शनि, राहु और केतु की बुरे प्रभावों से बचने के लिए लाजवर्त रत्न धारण करना बहुत लाभकारी होता है। मान्यता है कि इससे इस रत्न को पहनने से कुछ ही दिन में सकारात्मक प्रभाव नजर आने लगते हैं और जीवन में आ रहीं सभी बाधाएं दूर होती हैं। आइए जानते हैं लाजवर्त रत्न से जुड़ी कुछ खास बातें…
किन्हें पहनना चाहिए लाजवर्त?
-रत्न शास्त्र के अनुसार, कुंडली में शनि की उच्च स्थिति होने पर लाजवर्त धारण करना चाहिए।
-मकर और कुंभ राशि के जातक भी लाजवर्त पहन सकते हैं।
-कुंडली में राहु-केतु की उच्च स्थिति होने पर लाजवर्त पहनना शुभ माना जाता है।
लाजवर्त धारण करने के नियम :
-लाजवर्त रत्न को मूंगा या माणिक्य के साथ नहीं पहनना चाहिए।
-इस रत्न को चांदी की अंगूठी या लॉकेट में पहनना शुभ होता है।
-अगर उंगली में लाजवर्त धारण कर रहे हैं, तो इसे दाएं हाथ की मध्यमा उंगली में पहनें।
-इस रत्न को शनिवार के दिन पहनना बहुत लाभकारी माना जाता है।
लाजवर्त रत्न पहनने के फायदे :
-मान्यता है कि लाजवर्त पहनने से व्यक्ति की एकाग्रता बढ़ती है।
-इस रत्न को पहनने से बुद्धि और विवेक बढ़ता है। इसलिए विद्यार्थियों के लिए यह रत्न शुभ माना गया है।
-रत्न शास्त्र के अनुसार, लाजवर्त धारण करने से पितृ दोष और राहु दोष से मुक्ति मिलती है।
-कहा जाता है कि लाजवर्त पहनने से व्यक्ति की मानसिक क्षमता बेहतर होती है और नौकरी-कारोबार में आने वाली बाधाओं से छुटकारा मिलता है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved