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    आप भी अपने घर में लेकर आ रहें विघ्‍नहर्ता की मूर्ती, तो जरूर जान लें स्‍थापना मुहूर्त

  • September 08, 2021

    पंचाग के अनुसार प्रत्येक मास की चतुर्थी को गणेश अथवा विनायक चतुर्थी कहते हैं, लेकिन भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी का विशेष महत्व है। गणेश चतुर्थी विशेष रूप से भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मनाई जाती है। इस वर्ष 10 सितंबर को गणेश चतुर्थी गणेश महोत्सव के रूप में मनाई जाएगी। हिंदू समाज में मिट्टी के बने गणेश जी का आह्वान करके उनकी प्रतिमा को लाते हैं और विधिवत घर में पूजा,आरती और भोग आदि की व्यवस्था करते हैं।

    गणेश चतुर्थी को भगवान गणेश (Lord Ganesha) का आगमन या विराजमान करना और अनंत चतुर्दशी को गणेश का विसर्जन करने का महत्व (Importance) है, किंतु कुछ लोग थोड़े समय के लिए ही गणेश जी अपने घरों में विराजमान करते हैं। इसमें से कुछ तीन, पांच तो कुछ सात दिन। गणेश जी विराजमान के लिए कुछ नियम हैं। गणेश जी को संकल्पपूर्वक अपने घर में आने के लिए निमंत्रण दें। उन्हें श्रद्धाभाव से लेकर आएं। घर आने पर उनका फूलों से उनका स्वागत करें। विशेष स्थान पर उन्हें विराजमान करें। धूप, दीप, नैवेद्य एवं आरती से उनकी पूजा (worship) करें। उसके पश्चात प्रतिदिन सुबह-शाम की आरती, भोग, प्रसाद की व्यवस्था करें। जितने दिनों के लिए आप गणेश जी को लाए हैं उसके बाद उन्हें विशेष आयोजनों के द्वारा उन्हें नदी और तालाब आदि ने विसर्जित कर दें। घर से मंगल गान गाते हुए पुष्प वर्षा करते हुए भगवान को आदरपूर्वक विदा करें और अगले साल आने के लिए पुनः कहें।

    गणेश स्थापना के शुभ मुहूर्त
    इस वर्ष 10 सितंबर को अच्छा योग नहीं बन रहा है, किंतु 12:00 बजे के पश्चात चित्रा नक्षत्र में आप गणेश जी को अपने घरों में विराजित कर सकते हैं। क्योंकि यह प्रचलन भगवान को विराजित करने और विसर्जन करने का है इसलिए चर लग्न का मुहूर्त श्रेष्ठ माना है। घर में लक्ष्मी-गणेश (lakshmi-ganesh) तो पहले से ही स्थाई रूप से विराजित होते हैं। 10 सितंबर को चर लग्न (मकर लग्न ) शाम 15:34 बजे से 17:17 बजे तक रहेगा। उसके पश्चात शाम 20:10 से 21:46 बजे तक भी मेष लग्न (चर लग्न) है। उसमें भी आप इनकी स्थापना या विराजमान कर सकते हैं।


    घर में गणेश जी के विराजमान रहने तक सात्विक वातावरण, नियम और संयम का पालन अवश्य होना चाहिए। नियमित रूप से भगवान जी के दर्शन, पूजन एवं आरतीकरते रहे । ओम् गं गणपतये नमः।ओम् विघ्नविनाशकाय नमः। ओम ऋद्धिसिद्धि पतये नमः। इन विशेष मंत्रों का जाप नियमित करते रहें। भगवान को मोदक अर्थात लड्डू प्रिय हैं। इसलिए रोजाना उनको मोदक का प्रसाद का भोग लगाएं। इस प्रकार किए गए गणपति विराजमान से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

    नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।

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