डेस्क। आपने बड़े बुजुर्गों को कहते सुना होगा कि पानी बैठकर पियो और दूध खड़े होकर पियो. लेकिन अक्सर बच्चे उनकी बातों को अनसुना कर देते हैं. लेकिन सही मायने में बुजुर्गों की ये बातें काफी तजुर्बे वाली होती हैं, जिनमें सेहत के कई राज छिपे हैं. अगर आप भी अब तक बैठकर दूध का सेवन करते आए हैं, तो आज से इस आदत को बदल लें, ताकि आपको इसके सेवन का पूरा लाभ मिल सके. आइए आपको बताते हैं कि आयुर्वेद में दूध पीने को लेकर क्या नियम बताए गए हैं.
1. आयुर्वेद में कहा गया है कि बैठकर दूध पीने से पाचन संबन्धी परेशानियां होती हैं और पाचन की समस्याएं होने से पूरा शरीर प्रभावित होता है. जबकि खड़े होकर दूध पीने से शरीर को इसका पूरा लाभ मिलता है और त्रिदोष यानी वात, पित्त और कफ संतुलित रहता है. आयुर्वेद में हर बीमारी को त्रिदोष से जोड़कर ही देखा जाता है.
2. खड़े होकर दूध पीने के और भी तमाम फायदे हैं. इससे घुटने खराब नहीं होते हैं, मांसपेशियां मजबूत होती हैं. इसके अलावा ह्वदय रोग व हाई बीपी जैसी समस्याओं से बचाव होता है और आंखों व स्किन के लिए भी ये काफी फायदेमंद माना जाता है.
3. दूध हमेशा रात को सोने से आधा घंटे पहले गुनगुना करके पीना चाहिए, साथ ही इसमें शक्कर का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. आप चाहें तो इसके साथ थोड़े गुड़ का सेवन कर सकते हैं. अगर दूध में एक चम्मच गाय का घी मिला लिया जाए तो ये और भी गुणकारी हो जाता है.
4. आजकल पैकेट वाले दूध का चलन चल गया है, लेकिन ये दूध पीने से परहेज करना चाहिए. हमेशा ताजा और जैविक दूध पीएं.
5. आयुर्वेद भी मानता है दूध को हमेशा उबालकर ही पीना चाहिए. अगर ये आपको भारी लगता हो, तो आप इसमें थोड़ा पानी डालकर पी सकते हैं. इससे ये हल्का और सुपाच्य हो जाएगा.
6. दूध का पूरा लाभ लेने के लिए आप इसे रात के डिनर के दो घंटे बाद और सोने से आधे घंटे पहले पिएं. रात का डिनर साढ़े सात बजे तक कर लेना चाहिए.
7. दूध को कभी भी भोजन के साथ नहीं पीना चाहिए क्योंकि ये जल्द हजम नहीं हो पाता. इसे हमेशा अलग से ही पीना चाहिए.
8. जिन लोगों के पेट में कीड़े हों, पाचन से जुड़ी समस्या हो, स्किन प्रॉब्लम, खांसी वगैरह हो, उन्हें ये दूध पीने से परहेज करना चाहिए.
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