दावेदारों का चुनावी समीकरण बिगड़ेगा… कई नेता अब पत्नियों के लिए लगाएंगे जोर…
इसी चुनाव में मिल सकता है मौका, कांग्रेस के पास कोई बड़ा उम्मीदवार नहीं तो भाजपा के दो विधायक और राज्यसभा सदस्य
इंदौर। संसद (Sansad) के विशेष सत्र में अगर महिला आरक्षण बिल (Women’s Reservation Bill) लागू हो जाता है तो कई महिला नेत्रियों की बल्ले-बल्ले हो सकती है, वहीं कुछ नेता अपनी पत्नियों या महिला रिश्तेदारों को दावेदार के रूप में आगे कर सकते हैं। फिलहाल भाजपा के पास दो महिला विधायक हैं, लेकिन कांग्रेस के पास जिले में एक भी विधायक नहीं है। शहरी क्षेत्र में एक भी महिला विधायक के टिकट के लिए खुलकर सामने नहीं आई है तो ग्रामीण क्षेत्र की सांवेर विधानसभा सीट से एक महिला नेत्री अपना दावा मजबूत किए हुए हैं। अगर बिल पास हो गया तो इंदौर की 9 सीटों में से 3 सीटें अनिवार्य रूप से महिलाओं के लिए आरक्षित करना पड़ेगी।
भाजपा के पास क्षेत्र क्रमांक 4 से मालिनी गौड़ तो महू से उषा ठाकुर विधायक हैं। इसके अलावा कई महिला नेत्रियां भी हैं, जिसमें राज्यसभा सदस्य कविता पाटीदार भी हैं। कविता महू विधानसभा चुनाव की अंदरूनी तौर पर तैयारी कर रही हैं। उनके पिता भेरूलाल पाटीदार भी महू से विधायक रह चुके हैं। वहीं उषा ठाकुर का टिकट किसी ओर विधानसभा से तय माना जा रहा है। विधायक मालिनी गौड़ अपने पुत्र एकलव्य के लिए जोर आइजमाइश कर रही हैं, लेकिन अब यहां समीकरण गड़बड़ा सकते हैं। कुल मिलाकर शहर में कोई बड़ी महिला नेत्री नहीं है। कांग्रेस में शोभा ओझा और अर्चना जायसवाल जैसी महिला नेत्री चुनाव लड़ चुकी हैं, लेकिन वे हार चुकी हैं। दोनों महिला नेत्री भी अब टिकट की दौड़ मेें आगे आ सकती हैं और शहरी क्षेत्र की किसी भी विधानसभा से टिकट का दावा कर सकती है। हालांकि 1 नंबर, देपालपुर और राऊ में कांग्रेस के विधायक हैं ही। सांवेर विधानसभा से जरूर रीना बोरासी जोर आजमाइश कर रही हैं और अपना टिकट तय मानकर चल रही हैं। 33 प्रतिशत आरक्षण के बाद जिले की 9 विधानसभा सीटों में से 3 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करना होगी और अगर यह हो जाता है तो 3 सीटें सीधे-सीधे महिलाओं के हाथों में होगी। इनकी आरक्षण प्रक्रिया क्या होगी, यह बिल में तय होगा।
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