नई दिल्ली: देश में अगर कार कंपनियों ने सरकार का वास्तविक सीएएफई स्कोर के नियमों का पालन किया तो कार निर्माताओं को 1 अप्रैल 2023 तक CAFE II (कॉर्पोरेट औसत ईंधन अर्थव्यवस्था) मानदंडों के तहत 3,600 करोड़ रुपए से 5,800 करोड़ रुपए का जुर्माना भरना पड़ सकता है. मारुति सुजुकी इंडिया, टाटा मोटर्स और एमजी जैसी कुछ बड़ी कंपनियों को छोड़कर बाकी सभी कार कंपनियां भारी जुर्माने से निपट सकती हैं.
पिछले महीने पारित ऊर्जा संरक्षण विधेयक के अनुसार, एक कार निर्माता को 25,000 रुपए प्रति यूनिट का भुगतान करना होगा यदि उसका CO2 उत्सर्जन लक्षित CAFE स्कोर से 0-4.7 ग्राम प्रति किमी और 50,000 रुपए प्रति यूनिट से अधिक है, तो यह 4.7 ग्राम प्रति यूनिट से अधिक है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादातर कंपनियों का वास्तविक सीएएफई स्कोर लक्ष्य स्कोर से अधिक होने की संभावना है. कार निर्माताओं के लिए अनुमानित जुर्माना आठ यात्री वाहन निर्माताओं की वार्षिक घरेलू बिक्री पर आधारित है, जो उद्योग की मात्रा का 85-90% के करीब है. शेष वित्तीय वर्ष के लिए उत्पाद पोर्टफोलियो में बदलाव के आधार पर यह जुर्माना बढ़ या घट सकता है.
अप्रैल 2023 तक बढ़ जाएंगी वाहनों की कीमतें
बता दें कि CAFE स्कोर की गणना इस तरह से की जाती है कि अगर कोई वाहन निर्माता इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों की बिक्री बढ़ाता है तो वे बेहतर हो जाते हैं. जैसा कि वाहन निर्माता BS-VI चरण 2 उत्सर्जन मानदंडों के लिए तैयार करते हैं, वाहनों की कीमतें भी अप्रैल 2023 से बढ़ जाएंगी. नए मानदंडों का पालन करने के लिए जो यूरो VI मानदंडों के बराबर होंगे, यात्री और वाणिज्यिक दोनों वाहनों को अधिक परिष्कृत उपकरणों की आवश्यकता होगी.
स्व-निदान उपकरण की होगी आवश्यकता
उदाहरण के लिए, वाहनों को वाहन के उत्सर्जन की निगरानी के लिए एक ऐसे उपकरण की आवश्यकता होगी. जो वाहनों के उत्सर्जन का स्वयं परीक्षण कर सकें. यह डिवाइस उत्प्रेरक कनवर्टर और ऑक्सीजन सेंसर जैसे अन्य उत्सर्जन उपकरणों की भी निगरानी करेगा.
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