उज्जैन। सिंहस्थ क्षेत्र में स्थित सात सागरों में से एक विष्णु सागर जिसका पौराणिक महत्व है, लेकिन देख रेख के अभाव में इसके हाल भी बेहाल हो चले हैं। आलम यह है कि विष्णु सागर का पानी दिन-प्रतिदिन कम होने के चलते काई के कारण से हरा और बदबूदार हो गया है जिसके चलते यहां चलने वाले फव्वारे बंद हो चुके हैं और लोगों को सागर की सैर कराने के लिए बोटिंग
भी बंद है।
पूरे विष्णु सागर के आसपास का क्षेत्र गंदगी से सराबोर हो चुका है। परिक्रमा क्षेत्र पर बड़ी-बड़ी झाडिय़ां हो चुकी है जिसके कारण से परिक्रमा करने में लोगों को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आसपास के क्षेत्रों से कई लोग मॉर्निंग वॉक और इवनिंग वॉक के लिए यहां आते थे वह अब धीरे-धीरे बंद हो चुके हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि विष्णु सागर की परिक्रमा क्षेत्र पर लगी लाइटें ज्यादातर बंद हो चुकी है। नियमित साफ सफाई नहीं होती है जिसके चलते परिक्रमा क्षेत्र जंगल बन चुका है। गुंडे बदमाशों और शराबियों का अड्डा बन चुका है जिसका पिछले दिनों प्रकरण सामने आया था विष्णु सागर के किनारे बने घाट के पत्थर टूट चुके हैं। बगीचे में लगे झूले भी क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। आलम यह है कि नगर निगम के कर्मचारी एवं प्रशासनिक अधिकारी महीनों तक इधर झांकते भी नहीं है। नतीजतन सिंहस्थ 2016 के समय करोड़ों की लागत से विष्णु सागर क्षेत्र को दर्शनीय एवं पिकनिक स्पॉट के रूप में डायलॉग किया गया था लेकिन नगर निगम के अधिकारियों की अनदेखी के चलते पूरा क्षेत्र उजाड़ बन चुका है। कुछ दिनों पूर्व जनभागीदारी से स्थानीय लोगों ने विष्णु सागर के परिक्रमा क्षेत्र पर लगी झाडिय़ां हटाई लेकिन नियमित साफ-सफाई ना होने की वजह से पूरा क्षेत्र दिन प्रतिदिन अव्यवस्थित हो रहा है जिसके चलते स्थानीय एवं बाहर से आने वाले लोगों की संख्या में कमी आई है। विष्णु सागर में सैकड़ों विभिन्न प्रजाति के पक्षी यहां विचरण करते थे लेकिन अव्यवस्थाओं के चलते पक्षी भी यहां से पलायन कर गए हैं। बहरहाल प्रशासन को उज्जैन की ऐतिहासिक एवं पौराणिक धरोहर सप्त सागरों की समुचित देखरेख व्यवस्था करना चाहिए अन्यथा आने वाले समय में उज्जैन की यह ऐतिहासिक धरोहर विलुप्त हो सकती है।
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