आतंक की भूमि है… मौत का दरिया… मेजबान बनकर लुभाती है… जान पर बन आती है… यह बात सारी दुनिया जानती है… जहां खेल की थाली सजाकर मौत बुलाई जाती है… यह हाल-ए-पाकिस्तान है… जो बन चुका कब्रिस्तान है… आंकड़े बताते हैं…केवल इसी साल में इस देश में हुए 856 आतंकी हमलों में 1082 लोगों ने जान गंवाई… जिसमें नवंबर इस तरह खूंखार रहा कि 30 दिनों में 245 लोग मौत के शिकार हो गए… इनमें भी 68 सुरक्षाकर्मी थे तो 127 आतंकवादी … अपने लोगों की जान खैरात में गंवाने वाला पाकिस्तान क्रिकेट की थाली परोसकर दुनिया को बुला रहा है… देश की हालत पहचान नहीं पा रहा है… उसे पहले घर सुधारना चाहिए… अपनों की जान बचाना चाहिए… फिर मेहमानों को बुलाना चाहिए… आतंक का चैंपियन पाकिस्तान क्रिकेट की मेजबानी चाहता है… खेल के जरिए अपनी फकीरी दूर करने की कोशिशें आजमाता है… लेकिन जिस देश की धरती खून से सनी हो वहां खेल का सुकून कैसे हो सकता है… वहां शांति नहीं मौत होती है… वहां सौहार्द नहीं वैमनस्यता पनपती है… वहां दहशत होती है… भय होता है… जो देश पड़ोसियों के लिए आतंकी पालता था… उसके अपने देश के लोग उन्हीं आतंकियों के शिकार बन रहे हैं… उसके अपने लोगों का खून चख रहे हैं… हालत-ए-मौत इसलिए है कि उस देश का कोई खैरख्वाह नहीं है… वहां षड्यंत्र, साजिशों और धोखे से सरकार बनाई जाती है… चौराहों पर लोकतंत्र की बलि चढ़ाई जाती है… वहां जीतने वालों को जेल में ठूंस दिया जाता है… मतदान को लूटकर परिणामों को बदलकर गद्दारों को संसद में बैठाया जाता है… जहां सेना के गुलाम को प्रधानमंत्री बनाया जाता है… जहां सुप्रीम कोर्ट तक के जजों से संगीनों के जोर पर फैसले कराए जाते हैं… जहां लोगों पर लाठियां, गोलियां बरसाकर धरती को खून से नहलाया जाता है… जहां आक्रोश पल-पलकर ज्वालामुखी बनता है… जहां नफरत, क्रोध पनपता है… जहां जिहाद सिखाया जाता है… जहां आतंक पढ़ाया जाता है… जहां खुद को मरवाकर कइयों को मारने का जज्बा जगाया जाता है… जहां अफगानिस्तान के तालीबानियों ने कब्जा कर अपने आतंकी घुसा रखे हैं… जहां सरकार का नियंत्रण तालिबान के गुर्गे करते हैं… जहां लोग खाने को तरसते हैं… जो देश खैरात पर पलता है…. जिसकी विमान कंपनियों के पास तेल डालने तक का पैसा नहीं रहता है… जो देश आतंक पर पलता है… आतंक में जलता और आतंक में ही बनता-बिखरता है वहां क्रिकेट नहीं, बल्कि मौत का खेल ही चल सकता है… वहां जीतना भी जुर्म बन सकता है और जीतने वाली टीम का अस्थि- कलश ही देश लौट सकता है… वहां क्रिकेट खेलने जाना… और खुद की जान को जोखिम में डालने का पागलपन कोई सिरफिरा ही करेगा… हमें तो हमारे खिलाड़ी जान से प्यारे हैं… हमें उनकी जीत पर भी भरोसा है और पाकिस्तानियों की करतूतों का भी इल्म है… इसलिये जब दिल में हो मैल तो कैसा खेल…
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