डेस्क। अपने घर या दुकान का हर कोई सपना देखता है, लेकिन इसमें कानूनी पेंचों के चलते बहुत से लोग इसमें इंवेस्ट करने से डरते हैं। खासतौर पर अगर प्रॉपर्टी दूसरे के नाम हो और इसे ट्रांसफर कराना हो तो समस्या बढ़ जाती है। मगर अब आप बिना परेशानी के बेहद आसानी तरीकों से इसे अपने नाम ट्रांसफर करा सकते हैं। इनमें सेल डीड, गिफ्ट डीड आदि प्रक्रियाएं आपके काम आ सकती है।
सेल डीड : प्रॉपर्टी ट्रांसफर करने के लिए सबसे ज्यादा यही तरीका इस्तेमाल किया जाता है। इसे ट्रांसफर डीड या बिक्रीनामा भी कहा जाता है। इसके लिए सब-रजिस्ट्रार ऑफिस में रजिस्टर्ड कराना पड़ता है। प्रॉपर्टी ट्रांसफर के लिए इसमें स्टांप ड्यूटी देनी होती है। इसकी कीमत अलग-अलग शहरों के अनुसार निर्धारित की जाती है, दिल्ली में ये करीब 4 से 6 % तक है। सेल डीड एग्रीमेंट में खरीदार और बेचने वाले दोनों पार्टियों की तय की गई शर्तें होती हैं।
गिफ्ट डीड : बहुत से पैरेंट्स अपने बच्चों की शादी या खास मौके पर अपनी प्रॉपर्टी उन्हें बतौर तोहफा देते है। ऐसे में प्रॉपर्टी ट्रांसफर करने के लिए गिफ्ट डीड का इस्तेमाल कर सकते हैं। ये डॉक्यूमेंट आपको एसेट्स को गिफ्ट करने या ओनरशिप ट्रांसफर की इजाजत देता है। इसमें पैसे का कोई लेन-देन नहीं होता है।अचल संपत्ति गिफ्ट करने के लिए आपको स्टांप पेपर पर डॉक्यूमेंट ड्राफ्ट करना होता है। इसे दो गवाहों से अटेस्ट भी कराना होता है। उसके बाद इसे रजिस्टर कराना होता है।
रिलुन्कुश डीड : रिलुन्कुश डीड यानी त्यागनामा। अगर आप किसी संपत्ति में हिस्सेदार हैं और अपने अधिकार छोड़ना चाहते हैं, तो रिलुल्कुश डीड बेहतर विकल्प है। गिफ्ट डीड की तरह इसमें भी बदलाव नहीं किया जा सकता। इसमें दो गवाहों से अटेस्ट कराने के बाद इसे रजिस्टर्ड कराना पड़ता है।
वसीयत : जब कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छा से अपनी चल या अचल संपत्ति का अधिकार किसी दूसरे व्यक्ति को सौंपता है, उसे विल यानी वसीयत कहते हैं। आमतौर पर मालिक की मृत्यु के बाद उसके उत्तराधिकारी को विल के तहत संपत्ति मिलती है। एक विल बनाने में दो गवाहों की जरूरत होती है और वो रजिस्टर्ड होना चाहिए। इसकी एक कॉपी रजिस्ट्रार के पास और दूसरी आपके पास रहती है। विल बनाने में कोई स्टांप ड्यूटी नहीं देना होता है।
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