इन्दौर। पिछले दिनों नगर निगम राजस्व विभाग (Municipal Revenue Department) की टीम ने बड़े पैमाने पर बड़ी सम्पत्तियों (Large Properties) की छानबीन की थी। इनमें भारी गड़बड़ी सामने आई थी। हर झोन की अलग-अलग टीमों ने मौके पर जाकर नपती और सम्पत्ति करों (Property Taxes) का मिलान किया तो काफी अंतर निकला, जिसके चलते अब 30 हजार करदाताओं को निगम ने नोटिस भेजे हैं। सभी से नए शुल्क के मान से तीन साल का कर वसूला जाएगा।
कुछ वर्षों पहले भी निगम ने इस प्रकार के अभियान चलाकर बड़े पैमाने पर सम्पत्तियों के मामले में गड़बडिय़ां पकड़ी थीं और उस दौरान संबंधितों पर तीन गुना पेनल्टी (Penalty) लगाई थी, लेकिन इस बार निगम संबंधितों से तीन साल का नए मान से शुल्क वसूल रहा है। कई हास्पिटल, शापिंग माल, स्कूल परिसर, शोरूम, मुख्य मार्ग (Hospital, Shopping Mall, School Complex, Showroom, Main Road) की दुकानों से लेकर कई बड़े व्यावसायिक संस्थानों की जांच इन दिनों निगम राजस्व विभाग (Municipal Revenue Department) के अमले के अलावा राजस्व विभाग (Revenue Department) के अफसरों की टीम भी कर रही है। हर रोज बड़े संस्थानों की जांच के लिए अफसर सम्पत्ति करों के कागजात लेकर मौके पर पहुंचते हैं और वहां रिकार्ड में दर्शाए गए क्षेत्रफल की जांच की जाती है। यह सिलसिला हर रोज चल रहा है और इसकी रिपोर्ट बनाकर निगम मुख्यालय (Corporate Headquarters) को 19 झोनलों से भेजी जा रही है।
बड़े संस्थानों में मिलीं गड़बडिय़ां
निगम राजस्व विभाग (Municipal Revenue Department) के अधिकारियों के मुताबिक पिछले एक माह से यह अभियान शुरू किया गया है और इसके चलते अब तक करीब 40 हजार से ज्यादा स्थानों पर पड़ताल की गई तो 30 हजार मामले ऐसे निकले, जहां पर सम्पत्तियों में कहीं क्षेत्रफल का अंतर तो कहीं मौके पर आवासीय और व्यावसायिक होने की गड़बडिय़ां मिलीं। इसके चलते निगम ने पहले दौर में ऐसे करदाताओं को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा और अब दूसरे दौर में निगम ने तीस हजार से ज्यादा करदाताओं को नोटिस जारी कर नए सिरे से तीन साल का सम्पत्ति कर भरने का निर्देश दिया है।
इम्प्रेस मार्ट की दुकानों पर निगम के ताले
नगर निगम (municipal corporation) ने बकाया सम्पत्ति कर नहीं भरने वाले करदाताओं के खिलाफ कार्रवाई का अभियान भी शुरू कर किया है और इसी के चलते वार्ड 36 के निपानिया में गोपाल पिता लक्ष्मीनारायण के इम्प्रेस मार्ट की दुकानें सील कर दीं और वहां ताले लगा दिए। 793604 रुपए का सम्पत्ति कर बकाया होने पर कई बार नोटिस दिए थे, लेकिन राशि जमा नहीं करने पर कार्यालय और दुकानें सील कर दी गईं।
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