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समर्थक ने कांग्रेस छोड़ी तो सफाई देते फिर रहे अरुण यादव

July 25, 2020

  • दो दिन से भोपाल में डाला डेरा

भोपाल। कांग्रेस विधायकों का इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल होने का सिलसिला जारी है। हाल ही में निमाड़ के मांधाता विधायक नारायण पटेल कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए हैं। पटेल को पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं पूर्व पीसीसी चीफ अरुण यादव का करीबी माना जाता है। यही वजह है कि अरुण यादव पिछले दो दिन से भोपाल में है और पटेल के पार्टी छोडऩे पर सफाई दे रहे हैं। यादव ने कहा कि वे और उनका भाई पूर्व मंत्री सचिव यादव आखिरी दम तक कांग्रेस में रहेंगे। हालांकि पटेल के भाजपा में जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वे 10 दिन पहले पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से मिले थे। पिछले तीन दिन से उनसे संपर्क नहीं था।
यादव ने कहा कि पिछले चुनाव में जनता ने कांग्रेस को बहुमत दिया था। भाजपा हॉर्सट्रेंडिंग कर रही है। पिछले दिनों में लूट-खसौट बड़े पैमाने पर हो रहा है। उन्होंने कहा कि वे जनता के बीच जाएंगे और फिर से बहुमत मांगेेंगे। साथ ही जनता को बताएंगे कि भाजपा ने चुनी हुई सरकार केा किस तरह से गिराया है। यादव ने कहा कि यदि यही क्रम चलता रहा तो फिर उपचुनाव में दोनों ही ओर से कांगे्रसी चुनाव लड़ेंगे। भाजपाई तेा सिर्फ दरी बिछाने का काम करेंगे।

सिंधिया को बताया नाग!
पूर्व मंत्री अरुण यादव ने नागपंचमी की बधाई देते हुए एक ट्वीट किया है। जिसमें उन्होंने भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया का फोटो अपलोड कर नागपंचमी की बधाई दी है। अरुण यादव के इस पोस्ट को विवादित माना जा रहा है। उनके ट्वीट से सवाल उठ रहे हैं कि राजनीति का स्तर कितना गिर रहा है। इस ट्वीट को उनकी खीज से जोड़कर देखा जा रहा है। क्योंकि यादव अपने समर्थक विधायक को भी भाजपा में जाने से नहीं रोक पाए हैं।

इधर पटवारी के बिगड़े बोल
पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने भी विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस छोडऩे वालों को बातों से समझाएं नहीं तो फिर लातों से समझाया जाए। इससे पहले भी पटवारी के विवादित बयान आ चुके हैं।

शुरूआत तो कांगे्रस ने ही की थी: मिश्रा
कांग्रेस विधायकों के भाजपा में शामिल होने पर कांगे्रस भाजपा पर हॉर्सट्रेडिंग के आरेाप लगा रही है। जिस पर गृहमंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता नरोत्तम मिश्रा ने पलटवार करते हुए कहा कि इसकी शुरूआत किसने की थी। जब वे सत्ता में थे और भाजपा के विधायकों को तोड़ रहे थे, तब लोकतंत्र खतरे में नहीं था। उल्लेखनीय है कि कमलनाथ सरकार के समय दो भाजपा विधायक शरद कौल और नारायण त्रिपाठी को तोडऩे की कोशिश की गई थी।

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