इंदौर। एक तरफ इंदौर सहित प्रदेशभर में कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है। दूसरी तरफ नेता किसी भी तरह के नियम मानने को तैयार नहीं हैं। जनता के लिए संक्रमण रोकने की गाइडलाइन जारी करने वाले मुख्यमंत्री ही 24 घंटे के भीतर भीड़ इकट्ठी करते नजर आए। हाटपीपल्या उपचुनाव के प्रचार में हजारों की भीड़ मौजूद रही, जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग से लेकर मास्क नहीं पहने भी बड़ी संख्या में कार्यकर्ता दिखे। संभव है कि अगर कोरोना संक्रमण की रफ्तार इसी तरह जारी रही तो उपचुनावों को आगे आयोग बढ़ा सकता है। दो दर्जन विधानसभा क्षेत्रों में ये उपचुनाव होना है, जिसको लेकर कांग्रेस और भाजपा के राजनीतिक आयोजन जारी हैं। अभी जैसे-जैसे चुनाव की तिथि नजदीक आएगी इसी तरह के आयोजन और भी बढ़ते जाएंगे, जिन पर प्रशासन का भी कोई नियंत्रण नहीं है।
इंदौर के सांवेर से लेकर ग्वालियर, मुरैना, शिवपुरी, अशोक नगर, धार सहित अन्य विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव होना है और यहीं पर बीते 4-5 दिनों से कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। सबसे ज्यादा हालत ग्वालियर-चम्बल संभाग की है, जहां पर ढेर सारे पॉजिटिव मरीज मिल रहे हैं और यह पूरा क्षेत्र ही सिंधिया के दबदबे वाला है। अभी परसों ही शासन की ओर से कोरोना संक्रमण रोकने की गाइडलाइन आम जनता के लिए जारी की गई, जिसमें मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा कि शादी और अन्य आयोजनों में अधिकतम 20 लोग मौजूद रह सकेेंगे। वहीं शवयात्रा, जनाजे और उठावने में भी इतनी ही संख्या निर्धारित की गई है। इसके साथ यह भी कहा गया कि गणेश और दुर्गा पूजा के पांडाल भी नहीं लगेंगे और लोग अपने घरों में ही रहकर स्थापना और पूजा करें। वहीं दूसरी तरफ अगले ही दिन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान भीड़ भरी सभाएं करते नजर आए। प्रतिमा अनावरण से लेकर अन्य कार्यक्रमों में मंच पर ही ढेर सारे नेता-कार्यकर्ताओं की भीड़ दिखी, जिसके चलते सोशल डिस्टेंसिंग का तो पालन ही नहीं हुआ और सभा में भी हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहे। कई बड़े नेताओं ने ही मास्क मुंह पर नहीं लगाया और गले में लटकाकर रखा था। सोशल मीडिया पर हालांकि मुख्यमंत्री की इस सभा की आलोचना भी की जा रही है कि क्या सारे नियम आम जनता और दुकानदारों, ठेले वालों के लिए ही हैं। नेताओं पर कोई कार्रवाई नहीं होती। दूसरी तरफ पूरी सरकार चुनावी मोड में है, क्योंकि अधिक से अधिक विधानसभा सीटें उपचुनाव में जीतनी है। सितम्बर के महीने में उपचुनाव होने की संभावना है, क्योंकि 6 माह के भीतर ये उपचुनाव आयोग को करवाना है। पिछले दिनों मुख्य निर्वाचन कार्यालय ने जिला कलेक्टरों से कोरोना संक्रमण को लेकर जानकारी भी मांगी थी। एक विधानसभा सीट बड़ामल्हरा की भी पिछले दिनों खाली हो गई। हालांकि इस पर तो चुनाव दिसम्बर तक हो सकेंगे, लेकिन अन्य 24 सीटों पर सितम्बर अंत तक चुनाव करवाना है। एक तरफ बारिश, दूसरी तरफ बढ़ता कोरोना संक्रमण और राजनीतिक दल और उसके नेता-कार्यकर्ता मानने को ही तैयार नहीं हैं। जैसे-जैसे चुनाव की तिथि नजदीक आएगी, सभा-रैली से लेकर भोजन-भंडारे और अन्य आयोजन भी किए जाएंगे। इंदौर में ही कल हर-हर मोदी, घर-घर तुलसी जैसे अभियान शुरू किए। इसमें भी भाजपा नेता, कार्यकर्ता मास्क से लेकर सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाते नजर आए। अगर कोरोना संक्रमण इसी तरह तेजी से बढ़ता रहा तो संभव है कि उपचुनावों को टालना पड़े,
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