नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने राजधानी में घर-घर राशन मुहैया कराने वाली योजना (Door to Door Ration Scheme) को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) से पूछा कि जब दिल्ली में पिज्जा और बर्गर की डिलीवरी हो सकती है, तब घर-घर राशन क्यों नहीं मुहैया कराया जा सकता। अपनी प्रेस कान्फ्रेंस में केजरीवाल ने ये भी कहा कि केंद्र सरकार इस संकट के काल में उन लोगों से भी लड़ रही है, जो उसके खुद अपने हैं।
केजरीवाल ने कहा, ‘देश में राशन माफिया के तार बहुत ऊपर तक हैं। आज 75 साल में आज तक कोई सरकार इसे खत्म नही कर पाई है। दिल्ली में ये योजना लागू होने थी और एक हफ्ता पहले इसे खारिज करा दिया गया। हमने 5 बार केंद्र सरकार से इस योजना की मंजूरी ली है। हम नही चाहते थे कि केंद्र से कोई झगड़ा हो इसलिए मंजूरी भी ली। पहले उन्होंने इस बात पर आपत्ति जताई कि इस स्कीम का नाम मुख्यमंत्री घर घर राशन योजना है। स्कीम से मुख्यमंत्री शब्द हटाने के साथ जो-जो कहा केंद्र ने हमने सब पूरा किया तो अब आखिर कैसे मंजूरी लेनी बाकी रह गई है।’
’70 लाख लोगों को होगा फायदा’
केजरीवाल ने कहा, ‘कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए इस योजना को हर हाल में लागू होना चाहिए। ये योजना हम किसी क्रेडिट के लिए नही कर रहे है। आप इसे लागू करें मैं खुद कहूंगा कि मोदी जी ने ये योजना लागू की है। ये वक्त एक दूसरे का हाथ पकड़ने का झगड़ने का नही है। ये योजना राष्ट्रहित में है। जिससे 70 लाख लोगों को लाभ मिलेगा।’ सीएम ने ये भी कहा कि राशन की दुकानें तो सुपर स्प्रेडर वाली जगह साबित हो सकती हैं। ऐसे में ये रोक लगाना सही नहीं है।
क्या है घर-घर राशन योजना योजना?
दिल्ली सरकार के मुताबिक इस योजना के तहत, प्रत्येक राशन लाभार्थी को 4 किलो गेहूं का आटा (आटा), 1 किलो चावल और चीनी अपने घर पर प्राप्त होगा, जबकि वर्तमान में 4 किलो गेहूं, 1 किलो चावल और चीनी उचित मूल्य की दुकानों से मिलता है। योजना के तहत अब तक बांटे जा रहे गेहूं के स्थान पर गेहूं का आटा दिया जाता और चावल को साफ किया जाता, ताकि अशुद्धियों को दूर कर वितरण से पहले राशन को साफ-सुथरा पैक किया जा सके।
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