सडक़ चलते परिचितों ने इंदौर की एक बच्ची को बहला-फुसलाकर गुजरात के जामनगर में महज 5 लाख रुपए में बेच दिया… कई बार शोषण झेलने के बाद भागकर आई बच्ची की रिपोर्ट पर उसे बेचने वाले दंपति पर कार्रवाई की गई… हाल ही में हुई यह घटना खबर बनी, लेकिन कोई खबरदार नहीं हुआ, क्योंकि हर दिन ऐसी खबरें छपती हैं… लेकिन जिन बच्चियों पर यह हैवानियत गुजरती है… जिस शर्म के दौर से वह निकलती हैं… जिन सिसकियों से उसकी रातें गुजरती हैं, उसकी न समाज में सिहरन उठती है और न पुलिस विचलित होती है… वो बस गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखती है… न वो ढूंढने निकलती है, न पूछताछ करती है… बस वो बच्ची के लौटने का इंतजार करती है… वो लौट भी आए… दर्दभरी दास्तां भी सुनाए तो उसमें भी पुलिस को झोलझाल नजर आता है… वो मर्जी से जाने और भागने की तोहमत थोपती है…फिर मीडिया का डर सताता है तो दुष्कर्मियों को पकड़ती है…ऐसी घटनाएं इंदौर ही नहीं पूरे देशभर में होती रहती हैं… इंदौर शहर से ही हर माह ऐसे 10-20 बच्चे गायब होते हैं…साल में यह आंकड़ा सैकड़ा पार कर जाता है…इनमें लडक़े भी होते हैं और लड़कियां भी…रिपोर्ट लिखाने वाले माता-पिता को पहले पुलिस ढांढ़स बंधाती है…लौट आएगा कहकर घर भिजवाती है…ज्यादा चक्कर लगाए तो गुमशुदगी की रिपोर्ट डालकर मुक्त हो जाती है…लेकिन हकीकत यह है कि यह बच्चे लापता नहीं होते…मर्जी से घर छोडक़र नहीं जाते…इनमें से कई का अपहरण होता है…लडक़ों को मार-पीटकर भिखारी बना दिया जाता है…लोग उन पर तरस खाएं, इसलिए लूला-लंगड़ा, अंधा तक बना दिया जाता है… लड़कियां बेच दी जाती हैं… घर की गुलामी से लेकर देह शोषण तक में लगाई जाती हैं…मासूम बच्चों से उनकी मासूमियत छीनकर उनके जेहन में दरिंदगी भर दी जाती है… बचपन में ही बच्चे उस वहशियत से रूबरू हो जाते हैं, जिसमें समाज के प्रति नफरत होती है… छीनने-झपटने, नोंचने की ख्वाहिशें पलती हैं… इनमें से कई अपराधी बन जाते हैं…फिर समाज उन्हें कोसता है, लेकिन कोई यह नहीं सोचता है कि न कानून ने अपना काम ढंग से किया, न पुलिस ने उस वक्त परवाह की जब उनका बचपन छीना जा रहा था…न समाज ने जिम्मेदारी निभाई…दुर्भाग्य से लापता ऐसा कोई बच्चा जब सौभाग्य से लौट आता है, तब पुलिस कलम उठाती है… समाज दया दिखाता है…तब भी कानून अपराधियों को सजा देने के बजाय सबूत मांगता है…बच्चे बचकर भागने की जुगत भिड़ाएं… शोषण और पीड़ा झेलकर भागकर आएं…काश! उससे पहले पुलिस भागकर उन्हें बचाने जाए तो समाज और राष्ट्र का भविष्य बर्बाद होने से बच पाए… पुलिस, सरकार और कानून को ऐसे लापता बच्चों की खोज के लिए गंभीर होना चाहिए… ऐसी घटनाओं की जांच के लिए अलग से महकमा बनना चाहिए… बदलते सोशल मीडिया के युग में लापता बच्चों की खोज के लिए पोस्ट वायरल होना चाहिए… घर के चिराग घरों को ही रोशन करें ऐसी पहल भी होना चाहिए…
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