डेढ़ से दो माह का समय लगेगा मतदाता सूची के पुनरीक्षण में… आयोग इसीलिए अभी करवाना चाहता है चुनाव
इन्दौर। राज्य निर्वाचन इसी माह नगरीय निकाय चुनावों की घोषणा करना चाहता है, ताकि मौजूदा मतदाता सूचियों के आधार पर चुनाव करवाए जा सकें। पहले चर्चा थी कि 25 दिसम्बर के बाद चुनाव की घोषणा और आचार संहिता लागू हो जाएगी, लेकिन इंदौर में भी आयोजित मुख्यमंत्री का कार्यक्रम टल गया और इसे अब जनवरी के पहले हफ्ते में आयोजित करने की सुगबुगाहट चल रही है, जिसके चलते अधिकारियों का भी अनुमान है कि अगर दिसम्बर अंत तक चुनाव की घोषणा नहीं होती है तो फिर चुनाव 3 से 4 महीने आगे बढ़ जाएंगे और फिर संभवत: मार्च-अप्रैल में ही हो सकेंगे, क्योंकि डेढ़ से दो माह का समय तो मतदाता सूची के पुनरीक्षण में ही लग जाएगा।
इंदौर सहित प्रदेश के 16 बड़े शहरों सहित 300 से ज्यादा नगरीय निकायों के चुनाव होना हैं, क्योंकि पहले कोरोना संक्रमण, कफ्र्यू-लॉकडाउन, उसके बाद उपचुनावों के चलते तारीखें आगे बढ़ती रहीं। सभी नगरीय निकायों में चुनी हुई परिषदों का कार्यकाल 8-10 महीने पहले ही समाप्त हो चुका है, जिनमें इंदौर नगर निगम भी शामिल है। इसमें महापौर सहित सभी 85 पार्षदों का कार्यकाल 18 फरवरी 2020 तक ही था और उसके बाद से प्रशासक काल चल रहा है और फरवरी 2021 में पूरा एक साल हो जाएगा। उपचुनावों में भाजपा को जो शानदार सफलता मिली, उसके चलते वह नगरीय निकायों के चुनाव तुरंत ही करवाने को उत्साहित थी और मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान भी यही चाहते रहे कि नगरीय निकायों के चुनाव दिसम्बर अंत में घोषित कर दिए जाएं और जनवरी में चुनाव की प्रक्रिया सम्पन्न हो सके। लिहाजा भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस ने भी निगम चुनाव की तैयारियां शुरू कर दीं। इंदौर में वार्ड आरक्षण की प्रक्रिया पहले ही हो चुकी है और मतदाता सूची तैयार है। वहीं पिछले दिनों भोपाल में महापौर का आरक्षण भी सम्पन्न हो गया। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि 25 दिसम्बर के बाद राज्य निर्वाचन आयोग नगरीय निकायों के चुनावों की घोषणा और उसका कार्यक्रम जारी कर देगा, जिसके चलते मौजूदा मतदाता सूची के आधार पर ही सीधे महापौर और वार्ड पार्षदों के चुनाव करवाए जा सकेंगे, लेकिन अगर अभी इस माह घोषणा नहीं होती है तो फिर 3 से 4 महीने निगम चुनाव आगे बढ़ जाएंगे, क्योंकि तब 1 जनवरी 2021 के आधार पर मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण करवाना पड़ेगा और इसमें कम से कम डेढ़ से दो माह का समय तो लग ही जाएगा, क्योंकि पुनरीक्षण के कार्यक्रम को घोषित करने, दावे-आपत्तियों को स्वीकार करने, घर-घर सर्वे करवाने और फिर मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन करवाना है। लिहाजा जानकारों का कहना है कि दिसम्बर अंत तक अगर चुनाव की घोषणा नहीं होती है तो फिर मार्च-अप्रैल तक चुनाव टल सकते हैं। 25 दिसम्बर को इंदौर में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान का दौरा भी था, जिसमें प्राधिकरण द्वारा निर्मित पीपल्याहाना ओवरब्रिज के अलावा नगर निगम से जुड़े करोड़ों रुपए के विकास कार्यों के उद्घाटन, भूमिपूजन, शिलान्यास के कार्यक्रम भी रखे गए थे। मगर यह दौरा स्थगित हो गया, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों से संबंधित कार्यक्रम का आयोजन किया है, जिसके चलते चर्चा है कि जनवरी के पहले हफ्ते में मुख्यमंत्री इंदौर आएंगे। अगर ऐसा होता है तो इसका आशय यह है कि दिसम्बर अंत तक निगम चुनाव की घोषणा नहीं हो रही है। अन्यथा आचार संहिता लगने के चलते जनवरी के हफ्ते में मुख्यमंत्री का कार्यक्रम हो ही नहीं सकता है। इधर मतदाता सूची में गड़बड़ी से लेकर उसे नए सिरे से बनाने की मांग भी कुछ कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने की है और इस संबंध में राज्य निर्वाचन आयोग को भी पत्र लिखा है। दूसरी तरफ महापौर से लेकर पार्षदों के लिए दोनों ही दलों के नेता-कार्यकर्ता तैयार हैं। सभी बढ़-चढक़र अपनी दावेदारी ठोंक रहे हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से भी कई वार्डों में खुद को पार्षद पद का योग्य उम्मीदवार बताकर प्रचार-प्रसार भी शुरू कर दिया। वहीं अपने नेताओं-आकाओं के चक्कर भी काट रहे हैं। अब देखना यह है कि चुनाव की घोषणा सरकार कब करवाती है।
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