सागर: पिछले महीने मध्य प्रदेश के सागर जिले की डॉ. हरि सिंह गौर सेंट्रल यूनिवर्सिटी में नमाज पढ़ने (Offered Namaz) को लेकर बवाल मच गया था. वायरल वीडियो में देखा गया कि एक छात्रा क्लास रूम में नमाज़ अदा कर रही थी. बाद में हिंदू जागरण मंच ने इस लड़की के खिलाफ एक्शन लेने की अपील की थी. 22 साल की स्टूडेंट अब अपने घर दमोह लौट गई है. छात्रा का कहना है कि उन्होंने क्लास में नमाज़ पढ़ कर कोई गलती नहीं की.
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत करते हुए छात्रा ने कहा कि 25 मार्च को उन्हें एक दोस्त ने इस वायरल वीडियो के बारे में बताया. वीडियो को चोरी छुपे शूट किया गया था. लिहाज़ा उसकी निजता का पूरी तरह से उल्लंघन किया गया. उन्होंने कहा कि वो इससे नाराज़ हैं, लेकिन डरी नहीं हैं. उन्होंने कहा, ‘मुझे क्यों डरना चाहिए? मुझे विश्वास है कि मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है.’
जांच कमेटी का गठन : वीडियो वायरल होने के बाद हिंदू जागरण मंच ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों को लिखित शिकायत करते हुए छात्रा के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. लिहाज़ा यूनिवर्सिटी ने इस मामले में छह सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया. विश्वविद्यालय ने बाद में एक बयान जारी कर कहा कि छात्रा के मुताबिक वो इस बात से अनजान थी कि किसी को विभाग की बिल्डिंग में नमाज़ अदा नहीं करनी चाहिए.’
B.ed में टॉप : दमोह की रहने वाली ये छात्रा एजुकेशन डिपार्टमेंट से B.Sc B.ed कर रही है और वो फिलहाल फाइनल ईयर में है. उसके परिवार और शिक्षकों का कहना है कि वो हमेशा टॉपर में रही हैं. हाल ही में टीजीटी में भर्ती के लिए आयोजित कॉमन एंट्रेंस टेस्ट में, उसने 150 में से 127 अंकों के साथ अपनी क्लास में टॉप किया था.
सीएम छात्रवृत्ति योजना के तहत 25,000 रुपये मिले : वो उन छह मेधावी छात्रों में भी शामिल हैं, जिन्हें विश्वविद्यालय द्वारा सागर छावनी में सरकार द्वारा संचालित केंद्रीय विद्यालय में शिक्षण इंटर्नशिप के लिए चुना गया है. कक्षा 10 में 86 प्रतिशत और कक्षा 12 में 85 प्रतिशत अंक प्राप्त करने के बाद, उन्हें मेधावी छात्रों के लिए सीएम छात्रवृत्ति योजना के तहत 25,000 रुपये भी मिले थे.
क्लास टॉपर : दमोह के हट्टा तहसील में अपनी पत्नी, बेटे और 22 वर्षीय बेटी के साथ रहने वाले छात्रा के पिता का कहना है कि वो मिडिल क्लास फैमिली से आते हैं. इसके बावजूद उन्होंने अपनी बेटी का एडमिशन बुंदेलखंड पब्लिक स्कूल में कराया. उन दिनों इस इलाके का ये एकमात्र इंगलिश मीडियम स्कूल था. पिता ने कहा, ‘वो हमेशा मेधावी छात्रा रही है. मेरी बेटी ने 11वीं में 93 प्रतिशत अंक हासिल किये. लेकिन 12वीं में उसका परसेंटेज थोड़ा गिर गया. दरअसल उसकी कोहनी की सर्जरी करानी पड़ी थी.’
बैचमेट्स और फैकल्टी को पता था : जिस दिन उनका ये वीडियो बनाया गया उस दिन को याद करते हुए 22 वर्षीय छात्रा कहती है कि विभाग छात्र परिषद के लिए कक्षा प्रतिनिधियों के लिए चुनाव कर रहा था. वह चुनाव मैदान में पांच उम्मीदवारों में से एक थी. छात्रा का कहना है कि 2018 में जब से उसने यूनिवर्सिटी ज्वाइन की है, तब से वो नियमित रूप से नमाज पढ़ रही है, जिसके बारे में उसके बैचमेट्स और फैकल्टी को पता था, लेकिन किसी ने कभी आपत्ति नहीं की. उन्होंने कहा, ‘जब हमने यहां दाखिला लिया, तो हमें संस्थान को संचालित करने वाले नियमों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई. किसी ने हमें नहीं बताया था कि विभाग या विश्वविद्यालय में नमाज़ अदा करने की अनुमति नहीं है. उस दिन, चुनाव के कारण, सभी बैच के छात्र इधर-उधर चक्कर काट रहे थे.’
बेटी ने मुझे फोन किया : अगले दिन वीडियो वायरल होने के बाद हिंदू जागरण मंच ने उसके खिलाफ कार्रवाई की मांग की. एक स्थानीय पुलिस स्टेशन के इंसपेक्टर ने उससे पूछा कि क्या उसे सुरक्षा की आवश्यकता है. 50 से अधिक सदस्यों का एक समूह हिंदू परिषद और हिंदू जागरण मंच परिसर में आया और हनुमान चालीसा का जाप करने लगा. पिता ने कहा, ‘मेरी बेटी ने मुझे फोन किया और मुझे यह सब बताया. मैंने उससे कहा कि डरो मत और कहा कि उसे हॉस्टल में ही रहना चाहिए. वह केवल प्रार्थना कर रही थी. यह कैसे गलत है?’
क्या ये साइबर अपराध है? : विश्वविद्यालय द्वारा गठित जांच समिति के एक सदस्य ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि चुपके से छात्र का वीडियो शूट करना अपने आप में एक साइबर अपराध है. सदस्य ने कहा, ‘हमने छात्रा से पूछा कि क्या वो प्राथमिकी दर्ज करना चाहती है, लेकिन उसने मामले को आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया.’
मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहते हैं पिता : उसके पिता का कहना है कि वे इस मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहते थे क्योंकि दूसरी तरफ भी करियर और प्रतिष्ठा दांव पर थी. उन्होंने कहा, ‘जिस तरह मैंने अपनी बेटी को वहां पढ़ने के लिए भेजा है, उसी तरह वीडियो बनाने वाली छात्रा को भी वहां पढ़ने के लिए भेजा गया था. हम छात्रा के परिवार को उसकी गलतियों के लिए दंडित नहीं करना चाहते हैं. हम माफ करके आगे बढ़ने में विश्वास रखते हैं.’
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