नई दिल्ली: वक्फ कानून (Wakf Law) में केंद्र सरकार (Central government) द्वारा किए गए संशोधनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में कई याचिकाएं दायर की गई हैं, जिन पर लगातार आज दूसरे दिन सुनवाई हुई. याचिकाओं में संशोधन के विभिन्न पहलुओं को लेकर सवाल उठाए गए हैं. इस बीच, वक्फ कानून पर सवाल उठाने वालों के लिए संसदीय संयुक्त समिति (जेपीसी) के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा कि अगर कानून में एक भी गलती निकली, तो वे अपने सांसदी पद से इस्तीफा दे देंगे.
जगदंबिका पाल का कहना है कि राजनीतिक पार्टियां वोट बैंक की राजनीति कर रही हैं और मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति उचित नहीं है. बीजेपी नेता ने साफ कहा कि वे किसी भी प्रकार की राजनीति से प्रेरित नहीं हैं और पूरी निष्पक्षता से काम कर रहे हैं. जगदंबिका पाल ने बताया कि जेपीसी ने इस मुद्दे पर 38 बैठकें की हैं और सभी सवालों के बेबुनियाद होने का दावा किया.
उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने लाभ के लिए लोगों को गुमराह कर रही हैं. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में इस बात पर जोर दिया गया कि संशोधनों के तहत हिन्दू व्यक्ति को वक्फ बोर्ड में कैसे शामिल किया गया है. इससे संबंधित सवालों पर सुप्रीम कोर्ट ने भी टिप्पणी की थी और पूछा कि क्या हिन्दू संगठनों में मुस्लिमों की एंट्री होगी.
जगदंबिका पाल का कहना है कि गैर-मुस्लिमों का वक्फ बोर्ड में होना पहले ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार तय हो चुका है. जगदंबिका पाल का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, वक्फ बोर्ड एक कानूनी संस्था है, न कि धार्मिक संस्था. सुप्रीम कोर्ट में आज भी याचिकाओं पर सुनवाई हुई और इस दौरान कोर्ट ने सात दिनों की रोक के लिए अंतरिम आदेश जारी किया है. मसलन, इस दौरान में बोर्ड में कोई भी नई नियुक्ति नहीं होगी, और प्रॉपर्टी को डिनोटिफाई भी नहीं किया जाएगा.
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