डेस्क: बिहार में इंडी अलायंस में सीटों का बंटवारा तो हो गया लेकिन पूर्णिया सीट को लेकर आरजेडी-कांग्रेस में अभी भी बात नहीं बनी है। इसमें एक तरफ पप्पू यादव हैं और दूसरी तरफ आरजेडी है। पप्पू यादव ने ऐलान किया है कि वो इस सीट को नहीं छोडेंगे। मतलब साफ है कि वो पूर्णिया सीट से चुनाव लड़ेंगे। पप्पू यादव ने फैसला किया है कि वो कांग्रेस के सिंबल पर पूर्णिया से मैदान में उतरेंगे और अगर ऐसा भी नहीं हुआ तो वो निर्दलीय के तौर पर पूर्णिया से चुनाव लड़ेंगे। ऐसी ख़बर है कि 2 अप्रैल को पप्पू यादव पूर्णिया से नामांकन भी दाखिल करेंगे।
पूर्णिया से RJD ने बीमा भारती को दिया टिकट
हालांकि पप्पू यादव के पूर्णिया से नामांकन भरने के पीछे भी एक पेंच है। इसमें पेंच ये है कि INDIA गठबंधन की सदस्य पार्टी RJD पहले ही इस सीट से अपना उम्मीदवार घोषित कर चुकी है। पूर्णिया सीट से आरजेडी ने बीमा भारती को उम्मीदवार बनाया है। पूर्णिया सीट अब इंडी गठबंधन के लिए बड़ा सिरदर्द साबित हो रही है। जहां RJD ने कांग्रेस को पूर्णिया सीट देने से मना कर दिया, वहीं पप्पू यादव पूर्णिया सीट से लड़ने पर अड़े हुए हैं। पप्पू यादव कांग्रेस से सिंबल मांग रहे हैं। पप्पू का कहना है कि अगर उन्हें सिंबल नहीं मिला तो पूर्णिया से निर्दलीय भी चुनाव लड़ सकते हैं। खबर तो यहां तक है कि 2 अप्रैल को पप्पू यादव पूर्णिया लोकसभा सीट से नामांकन भर सकते हैं।
पप्पू को पूर्णिया क्यों पसंद?
पप्पू यादव पूर्णिया लोकसभा सीट के लिए इस कदर बेताब हैं कि हाल ही में जिस कांग्रेस को ज्वाइन किया है, उसी कांग्रेस और इंडी गठबंधन से वह सीधे बगावत करने पर उतर आए हैं और निर्दलीय चुनाव लड़ने की बात कह रहे हैं। पप्पू यादव को पूर्णिया सीट से निर्दलीय जीतने का कॉन्फिडेंस यूं ही नहीं हैं, बल्कि इसके पीछे उनका पूर्णिया से निर्दलीय जीतने का ट्रैक रिकॉर्ड भी है। साल 1991 में वह निर्दलीय लड़े और चुनाव जीते। इसके बाद 1996 में वह सपा के टिकट पर लड़े और सांसद बने। 1999 में एक बार फिर पप्पू यादव निर्दलीय लड़े और जीते भी। इसके अलावा भी MY समीकरण पूर्णिया में सबसे ज्यादा हिट साबित होता है।
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