गुना । जिस उद्देश्य के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री उज्जवला योजना का उद्देश्य अब पूरा होता नजर नहीं आ रहा है। शुरुआत में तो योजना का लाभ लेकर हजारों जरुरतमंदों ने गैस कनेक्शन ले लिए। लेकिन जैसे ही अपने कमाई से गैस रिफिलिंग कराने का नंबर आया तो हितग्राही पीछे हट गए। क्योंकि वास्तविक रूप से उनके पास इतना बजट ही नहीं है कि वह वास्तविक कीमत पर सिलेंडर फिर से भरा सकें।
जानकारी के मुताबिक स्वच्छ ईंधन, बेहतर जीवन के नारे के साथ केंद्र सरकार नें 1 मई 2016 को प्रधानमंत्री उज्जवला योजना की शुरूआत की थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य धुंआरहित ग्रामीण भारत की परिकल्पना थी। माना जा रहा था कि इस योजना के क्रियान्वयन से एलपीजी के उपयोग में वृद्धि होगी और स्वास्थ्य संबंधी विकार, वायु प्रदूषण एवं वनों की कटाई को कम करने में मदद मिलेगी। लेकिन यह योजना सिर्फ मुफ्त कनेक्शन बांटने तक ही सीमित रही है।
गैस एजेंसियों से मिली जानकारी के मुताबिक शहर की पांच एजेंसियों पर करीब 32 हजार उज्जवला योजना के कनेक्शनधारी हैं। इनमें से कितने उपभोक्ता हर माह गैस रिफिल करा रहे हैं, इसकी जानकारी एजेंसी संचालक नहीं दे पाए। वहीं कई गैस कनेक्शनधारियों से बात की। जिसमें उन्होंने बताया कि हाल ही में कोरोना काल में सरकार ने सिलेंडर रिफिल कराने खातों में राशि भेजने के आदेश दिए थे। जिसके बाद अधिकांश उभोक्ताओं के खाते में पहली किस्त तो आई लेकिन इसके बाद राशि नही मिली। कुछ महीने बाद पता चला कि सितम्बर के बाद फ्री सिलेंडर देने की स्कीम भी बंद हो गई। कोरोना और लॉकडाउन की वजह आर्थिक स्थिति इतनी ज्यादा खराब हो गई है कि अब हर माह सिलेंडर भरवाना मुश्किल हो रहा है। इसलिए उन्हें वही पुराने माध्यम लकड़ी, कंडे के चूल्हे पर लौटना पड़ रहा है।
रिफिल कराने में आर्थिक तंगी आ रही आड़े
जिला खाद्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक जिले में इस समय प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के कुल हितग्राहियों की संख्या 1 लाख 76 हजार है। इनमें से शहर की पांच गैस एजेंसियों पर ही 32 हजार उपभोक्ता हैं। लेकिन इनमें से ज्यादातर उपभोक्ता सिलेंडर रिफिल नहीं करवा पा रहे हैं। उनका कहना है कि कोरोना महामारी के बाद तो उनकी आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा ही खराब हो गई है। इसलिए वह चाहकर भी सिलेंडर रिफिल नहीं करवा पा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर एक और परेशानी परिवार के सदस्यों की संख्या ज्यादा होना है। जिसके कारण सिलेंडर एक माह तक नहीं चल पाता है। पहले ही एक सिलेंडर भरवाना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में महीने में दूसरा सिलेंडर भरवाना तो मुमकिन ही नहीं है।
सितंबर के बाद फ्री सिलेंडर बंद
कोरोना संक्रमण काल में प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के हितग्राहियों की मदद करने सरकार ने तीन महीने अप्रैल, मई, जून में सिलेंडर रिफिल कराने खातों की राशि पहुंचाई थी। जिसकी पहली शर्त थी कि यदि पहला सिलेंडर रिफिल नहीं कराया तो अगली किश्त नहीं आएगी। जानकारी के अभाव में कई हितग्राही ऐसा नहीं कर पाए। जिसके कारण वह इसके लाभ से भी वंचित हो गए। साथ ही सितंबर माह के बाद यह फ्री स्कीम भी बंद हो गई।
फैक्ट फाइल
प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के हितग्राही एक नजर में
जिले में कुल हितग्राही : एक लाख 76 हजार
किस गैस एजेंसी पर कितने उपभोक्ता
चारू एजेंसी : 4200
बालाजी एजेंसी : 2400
विवेक एजेंसी : 5400
केसर एजेंसी : 10000
भारत एजेंसी : 10000
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यह बोले जिम्मेदार
जिले में प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के कुल हितग्राहियों की संख्या एक लाख 76 हजार है। जहां तक अधिकांश हितग्राहियों द्वारा आर्थिक तंगी के कारण सिलेंडर रिफिल न कराने का मामला है तो इसमें वह कुछ नहीं कर सकते। जिन हितग्राहियों के पास उज्जवला कनेक्शन हैं उन्हें पीडीएस दुकानों से केरोसिन भी नहीं दिया जाता।
तुलेश्वर कुर्रे, जिला सहायक आपूर्ति अधिकारी
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