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    लाड़ली बहनाएं अगर वाकई गेम चेंजर साबित हुईं तो मामा का ही चलता रहेगा सिक्का

  • December 01, 2023

    • सरकार बनने पर दिल्ली दरबार को भी स्वीकार करना पड़ेगी मैदानी हकीकत, लोकसभा चुनाव तक कोई खतरा नहीं उठाना चाहेगी पार्टी, मुख्यमंत्री की कुर्सी भी फिर मिल सकती है

    इंदौर, राजेश ज्वेल। भाजपा को एग्जिट पोल के बाद लाडली बहना पर और अधिक भरोसा हो गया है। हालांकि असल परिणाम तो 3 दिसम्बर को ही मिलेंगे, जो बताएंगे कि क्या वाकई यह योजना गेम चेंजर साबित हुई है। प्रदेश में अगर फिर से भाजपा की सरकार इस योजना के कारण बनती है तो दिल्ली दरबार को भी मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की मैदानी पकड़ का लोहा मानना पड़ेगा।

    राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि अगर लाडली बहना कारगर साबित हुई तो संभव है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी सरकार बनने पर फिर मामा यानी शिवराज को ही मिल जाए, क्योंकि ऐसी स्थिति में 6 महीने बाद ही होने वाले लोकसभा चुनाव में पार्टी कोई जोखिम नहीं उठाना चाहेगी। अभी विधानसभा चुनाव की शुरुआत में शिवराज को दरकिनार कर दिल्ली दरबार ने पहली दो खेप के टिकट अपनी मनमर्जी से बांटे। मगर जैसे ही सर्वे और अन्य रिपोर्ट मिलने लगी तो बाद के अधिकांश टिकट शिवराज की पसंद के ही देना पड़े। इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, जिनके नाम और चेहरे पर भाजपा ने पूरा चुनाव अभियान चलाया उन्होंने खुद आमसभाओं में लाडली बहना योजना की तारीफ करना शुरू की। दरअसल दिल्ली दरबार को चुनाव प्रचार के चलते ही यह समझ आ गया कि लाडली बहना का बड़ा फैक्टर है, जो काम करेगा और यह सच्चाई विपक्ष यानी कांग्रेस भी मेहसूस कर रही थी। यही कारण है कि कल के एग्जिट पोल में भी लाडली बहना को ही गेम चेंजर बताया जा रहा है। हालांकि मतदाताओं ने असल फैसला क्या दिया है यह तो असल मतगणना के बाद ही पता चलेगा, जिसमें अब दो दिन का ही समय बचा है। दरअसल शिवराजसिंह चौहान किस्मत के जबरदस्त धनी हैं और विरोधियों के तमाम प्रयासों के बावजूद वे कुर्सी पर अभी तक काबिज रहे हैं और अगर उनका राजयोग इसी तरह जारी रहा तो संभव है सरकार बनने पर लोकसभा चुनाव तक वे ही कुर्सी पर बैठे नजर आएं। अब देखते हैं जनता जनार्दन ने मामाजी का क्या भविष्य लिखा है..?


    नरेन्द्रसिंह तोमर पहले ही दौड़ से हो चुके हैं बाहर
    तीन केन्द्रीय मंत्रियों और 7 सांसदों को इस बार भाजपा ने विधानसभा चुनाव लड़वाया है। उनके भाग्य का फैसला भी होना है, जिसमें सरकार बनने पर मुख्यमंत्री पद के एक दावेदार नरेन्द्रसिंह तोमर भी रहे। मगर बेटे के करोड़ों रुपए के लेन-देन के वीडियो वायरल होने के बाद वे अब इस दौड़ से बाहर हो चुके हैं और कांग्रेस ने तो यह आरोप भी लगाया कि इस वीडियो को भाजपा की ओर से ही वायरल ऐन वक्त पर करवाया गया है।

    किसी अन्य के नाम पर व्यापक सहमति भी नहीं बनेगी
    शिवराज की खासियत यह भी रही कि उन्होंने अपने विरोधियों को जहां एक-एक कर ठिकाने लगाया, वहीं संघ के साथ-साथ दिल्ली दरबार को भी साधकर रखा और वे तमाम विपरित परिस्थितियों में भी विचलित नहीं होते। जनता के साथ किसी अन्य की तुलना में उनका जीवंत सम्पर्क रहा है। किसी अन्य के नाम पर भाजपा में ही जबरदस्त खींचतान रहेगी और सर्वमान्य चेहरा शिवराज के अलावा अन्य कोई नजर भी नहीं आता है।

    150 सीटें जीत रहे हैं… ये मेरा एग्जिट पोल : शिवराज
    मंत्रालय में कल कैबिनेट की औपचारित बैठक में जहां सेवानिवृत्त मुख्य सचिव इकबालसिंह बैंस को विदाई दी गई, वहीं मंत्रियों ने शिवराज सिंह की प्रशंसा भी की। लगे हाथ मुख्यमंत्री ने भी कहा कि मेरा एग्जिट पोल सुन लीजिए। प्रदेश में फिर भाजपा की सरकार सवा से डेढ़ सौ के बीच सीटें लाकर बन रही है। लाडली बहनों ने हमें भरपूर प्यार दिया है और अन्य योजनाएं भी कारगर रही।

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