वॉशिंगटन: चीन-ताइवान के बीच का संघर्ष (China-Taiwan Tension) लगातार जारी है. इसी दौरान एक यूएस थिंक टैंक (US Think Tank) ने 2026 तक का विश्लेषण किया है कि अगर तानाशाह चीन ताइवान पर आक्रमण करता है तो क्या खोएगा? थिंक टैंक ने अपने अनुमान में बताया है कि ‘बड़े पैमाने पर नुकसान तो होगा ही यहां तक कि अमेरिका और जापानी सेना भी इस युद्ध में कूदेंगे और ताइवान का साथ देंगे, लेकिन अंत में चीन की ही हार होनी है.’
वाशिंगटन डीसी स्थित सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (CSIS) ने एक रिपोर्ट तैयार की है, जो ‘द फर्स्ट बैटल ऑफ द नेक्स्ट वॉर’ के रूप में प्रकाशित हुई है. इसी रिपोर्ट में ताइवान-चीन के वॉरगेम की स्थिति को दर्शाया गया है. चीन के तानाशाह शी जिनपिंग चाहते हैं कि वे ताइवान को 2027 से पहले अपने क्षेत्र में शामिल कर इतिहास रच लें, लेकिन ऐसा करने के लिए उन्हें युद्ध तो जरूर करना पड़ेगा, जिसमें चीन का भारी नुकसान दर्ज किया जाएगा.
अस्त व्यस्त हो जाएगी चीनी नौसेना
रिपोर्ट में छपे परिणामों के अनुसार, इस युद्ध के अंत में कम से कम दो अमेरिकी विमान प्रशांत क्षेत्र में डूब जाएंगे, जबकि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) नौसेना अस्त व्यस्त हो जाएगी. आक्रमण के शुरुआत में चीन द्वारा बमबारी होगी, जो हर युद्ध का नियम रहा है. शक्तिशाली PLA रॉकेट फ़ोर्स और PLA नौसेना ताइवान को घेर लेगी और द्वीप पर जहाजों और विमानों को लाने का प्रयास करेगी.
अमेरिका और जापान भी चीन से लड़ेंगे
रिपोर्ट के अनुसार, हजारों चीनी सैनिक ताइवान स्ट्रेट को पार करेंगे, जबकि हवाई हमला और हवाई सेना समुद्र तट के पीछे उतरेगी. हालांकि, CSIS के अनुसार, सबसे संभावित बेसलाइन परिदृश्य में, चीनी आक्रमण जल्दी से लड़खड़ा जाएगा, क्योंकि बड़े पैमाने पर चीनी बमबारी के बावजूद ताइवान की जमीनी सेना समुद्र तट पर प्रवाहित होगी. इस बीच ताइवान को अमेरिका और जापान से मदद मिलेगी यानी अमेरिकी पनडुब्बियां, बमवर्षक और हमला करने वाले विमान, जो जापान सेल्फ डिफेंस फोर्सेज (JSDF) द्वारा समर्थित होगी.
जीत की बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है!
भले ही इस युद्ध में ताइवान, अमेरिका और जापान की जीत का अनुमान हो, लेकिन तीनों देशों के सैकड़ों विमान सैनिक दुनिया को अलविदा कह देंगे. इस तरह के नुकसान से अमेरिका की वैश्विक स्थिति को कई वर्षों तक नुकसान रहेगा. रिपोर्ट का अनुमान है कि तीन सप्ताह के युद्ध में लगभग 3,200 अमेरिकी सैनिक मारे जाएंगे, इराक और अफगानिस्तान में चले 20 वर्षों के युद्ध में अमेरिका ने जितना खोया, उसका लगभग आधा इस युद्ध में खो देगी, वहीं चीन की नौसेना जर्जर अवस्था में हो जाएगी, चीन के 155 लड़ाकू विमान और 138 बड़े जहाज तबाह हो जाएंगे, लगभग 10,000 सैनिक मारे जाएंगे. अगर जापान की बात करें तो 100 से अधिक विमान और 26 युद्धपोत उनके भी तबाह होगा.
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