इंदौर। पटवारी भर्ती परीक्षा को लेकर पूर्व में भी इंदौर सहित प्रदेशभर में बवाल मचा और अभ्यर्थियों ने प्रदर्शन भी किए, जिसके चलते तत्कालीन मुख्यमंत्री ने परीक्षा परिणामों पर रोक लगाते हुए एक सदस्यीय जांच आयोग गठित कर दिया। मगर अभी पिछले दिनों इस जांच आयोग ने परीक्षा परिणामों को क्लीनचिट दे दी। यानी कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई। जबकि आंदोलनरत अभ्यर्थियों ने ही मय प्रमाण पटवारी भर्ती घोटाला उजागर किया, जिसमें भाजपा विधायक के कॉलेज और क्षेत्र के भी आधा दर्जन से अधिक उम्मीदवार चुने गए, तो 16 ऐसे उम्मीदवारों का चयन हो गया, जो सुनने में असक्षम हैं। यानी श्रवणबाधित रहे। वहीं एक ही उपनाम वाले 23 लोगों का भी चयन एक ही जिले से कर दिया गया। ये कोटा माध्यम से चुने गए।
मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन बोर्ड ने पटवारी परीक्षा गत वर्ष 26 अप्रैल को आोयजित कीथी, जिसके परिणाम जून में घोषित किए गए। 9.8 लाख उम्मीदवार शामिल हुए, जिसमें से 9 हजार की मैरिट सूची जारी की, जिसको लेकर फिर बवाल मचा, क्योंकि इसमें बड़े पैमाने पर धांधली की गई। मीडिया ने भी अपनी खोज-पड़ताल में यह पता लगाया कि त्यागी उपनाम वाले 23 लोगों को मैरिट सूची में जगह दे दी गई, जो कि ईडब्ल्यूएस और विकलांग कोटा के माध्यम से पाए गए। इतना ही नहीं, 13 उम्मीदवार तो ऐसे थे जो सुनने में ही सक्षम नहीं थे, उनका भी चयन कर दिया गया। दरअसल भिंड के भाजपा विधायक संजीव कुमार कुशवाह के खुद के कॉलेज के भी कई उम्मीदवार चयनित हो गए। कांग्रेस ने भी इसको लेकर लगातार सवाल खड़े किए और अब फिर कांग्रेस के साथ-साथ पिछली बार जिन अभ्यर्थियों ने आंदोलन किया था, वे एक बार फिर मैदान में उतर रहे हैं।
अभी सोशल मीडिया के माध्यम से भी इसको लेकर अभियान चलाया जा रहा है। दरअसल अभी शासन ने पटवारी भर्ती परीक्षाके परिणाम घोषित करते हुए चयनित अभ्यर्थियों यानी पटवारियों की नियुक्ति करने के निर्देश दे दिए। जांच आयोग ने जो रिपोर्ट दी वह भी सार्वजनिक नहीं की गई। लिहाजा कांग्रेस सहित आंदोलनरत छात्रों का कहना है कि पहले तो यह रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए कि कैसे इतने घोटालों-गड़बडिय़ों के बावजूद क्लीनचिट मिल गई। लिहाजा फिर अभियान चलाया जा रहा है कि परीक्षा निरस्त कर नए सिरे से पूर्ण पारदर्शिता के साथ इसे आयोजित किया जाए, क्योंकि मैरिट सूची में स्थान पाने वाले कुछ छात्रों ने 15 लाख रुपए तक की रिश्वत देने का कबूलनामा भी किया था, तो दूसरी तरफ कोटा सिस्टम के जरिए भी इस मामले में फर्जीवाड़ा हुआ। त्यागी उपनाम वाले सभी मुरैना जिले के अभ्यर्थी बताए गए, जिनके नाम राम अवतार, परविंद, आकाश, रेणु, प्रवीण, मनोज, योगेन्द्र, शकुंतला, रमाकांत, रश्मि, आशीष राहुल, अमित, अभिषेक, रोहित, जयंत, धीरेन्द्र, कीर्तिनंदन, विजय, योगेश, नीलेश और बेजनाम बताए गए हैं और इन सभी का उपनाम यानी सरनेम त्यागी है। इतना ही नहीं, इनमें कई अफसरों-नेताओं के पुत्र भी बताए गए हैं और कईयों का तो निवास का पता भी एक समान ही है। अब देखना यह है कि लोकसभा चुनाव के दौरान ये मुद्दा कितना विपक्ष दमदारी से उठा पाता है।
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