उज्जैन। वीआईपी मुहिम में व्यस्त प्रशासन की लापरवाही का खामियाजा अब प्रकृति को भोगना होगा। इस साल भी शहर में प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्तियों की बिक्री शुरू हो गई है। 50 से लेकर 300 रुपए तक में दुकानों पर इन्हें आसानी से खरीदा जा रहा है।प्रशासन का ग्रीन गणेश का सपना दूर की कौड़ी साबित हुआ। प्रशासन ने धारा 144 लगाकर प्रतिबंधात्मक आदेश जारी तो कर दिया, लेकिन कोई सख्ती नहीं हुई। शहर के सभी व्यस्ततम चौराहों, गलियों में दुकानें सज चुकी हैं। इन सभी दुकानों पर पीओपी से बनी मूर्तियां धड़ल्ले से बेची जा रही हैं। पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और प्रशासन की नाक के नीचे निर्माण चलता रहा और अब बिक्री भी शुरू हो गई। निर्माताओं ने गुपचुप तरीके से भारी तादाद में पीओपी की मूर्तियों का निर्माण कर लिया।
ज्ञात हो कि अखबारों, न्यूज चैनलों के माध्यम से व गली-मोहल्लों में नुक्कड़ नाटक से विभिन्न एनजीओ के जरिए पर्यावरण बचाने की मुहिम चलाई जाती है, जिसके तहत जलाशयों की सुरक्षा और उनको साफ रखने के तरीके सिखाए जाते हैं। इसके बावजूद सस्ती होने के कारण रहवासी इन्हीं मूर्तियों को खरीदते और विसर्जित करते हैं। भारी तादाद में नगर निगम द्वारा विसर्जन काउंटर लगाए जाते हैं, लेकिन इन मूर्तियों का निस्तारण नगर निगम के लिए भी टेढ़ी खीर साबित होता है। मूर्ति निर्माताओं ने चर्चा में बताया कि मिट्टी के साथ-साथ कई ऐसे केमिकल भी मिलाए जाते हैं, जो जलाशयों के जीव-जंतुओं के लिए भी हानिकारक हैं। यदि रोकना है तो सभी को रोका जाए।
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