नई दिल्ली: IDBI बैंक के विनिवेश की प्रक्रिया वित्त वर्ष 2023-24 में पूरी होगी. हालांकि, इसका निजीकरण वित्त वर्ष 2022-23 तक पूरा होना था. सरकार की कोशिश थी कि आईडीबीआई बैंक की बिक्री वित्त वर्ष 2023 में ही पूरी की जाए. सरकार की मौजूदा वित्त वर्ष में विनिवेश से 65,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य है.
इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए इस बैंक का निजीकरण जरूरी था. लेकिन अब डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (दीपम) के सचिव तुहिन कांता पांडे ने सोमवार को एक इंटरव्यू में कहा है कि बैंक के निजीकरण की प्रोसेस वित्त वर्ष 2024 में ही पूरी होगी.
बोलियों के बाद तय होगा रिजर्व प्राइस
पांडे ने इससे पहले ट्वीट किया था कि आईडीबीआई बैंक में केंद्र और एलआईसी की हिस्सेदारी के रणनीतिक विनिवेश के लिए कई एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रस्ट मिले हैं. प्रक्रिया को अनोखा बोलते हुए, पांडे ने दावा किया है कि विनिवेश पूरा होने के बाद मैनेजमेंट पर नियंत्रण का कोई इरादा नहीं है. उन्होंने कहा कि वित्तीय बोलियों के लग जाने के बाद रिजर्व प्राइस तय किया जाएगा.
पांडे ने कहा कि जहां IDBI बैंक के लिए बोली लगाने वालों के नाम और संख्या को अभी नहीं बताया जा सकता है. वहीं, प्रक्रिया में अगला चरण वर्चुअल डेटा रूम और सवालों का समाधाम करने से जुड़ा होगा. उन्होंने बताया कि आगे की प्रक्रिया में लगने वाला समय कई चीजों पर निर्भर करेगा. यह आम तौर पर करीब तीन से चार महीने लेता है.
दूसरे चरण में जाएगा ट्रांजैक्शन
अब ट्रांजैक्शन दूसरे चरण में चला जाएगा, जिसमें संभावित बोली लगाने वाले वित्तीय बोलियों को लगाने से पहले पूरी तरह विचार करेंगे. सरकार और एलआईसी मिलकर आईडीबीआई बैंक में 60.72 फीसदी हिस्सेदारी बेचना चाहते हैं और अक्टूबर में संभावित खरीदारों से बोलियां आमंत्रित की थीं.
ईओआई या प्रारंभिक बोलियां जमा करने की अंतिम तिथि शुरू में 16 दिसंबर थी, लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 7 जनवरी कर दिया गया. सरकार और एलआईसी ने मिलकर लेंडर में 94.71 फीसदी हिस्सेदारी रखी.
सफल बोलीदाता को 5.28 फीसदी सार्वजनिक शेयर होल्डिंग के अधिग्रहण के लिए एक खुली पेशकश करनी होगी. सूत्र ने कहा कि अगर सब कुछ तय कार्यक्रम के मुताबिक रहा, तो वित्तीय बोलियां मार्च के अंतिम सप्ताह तक आमंत्रित की जाएंगी.
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