नई दिल्ली । भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने दिशा-निर्देश जारी कर लोगों को हल्के बुखार या वायरल ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियों में एंटीबायोटिक (antibiotics in diseases) का इस्तेमाल न करने को कहा है। साथ ही चिकित्सकों को इन दवाओं की सलाह देते हुए समयसीमा का ध्यान रखना चाहिए। आईसीएमआर ने कहा, त्वचा और कोमल ऊतकों के संक्रमण के लिए पांच दिन, समुदाय के संपर्क में आने से हुए निमोनिया (pneumonia) के मामले में पांच दिन और अस्पताल में हुए निमोनिया के लिए आठ दिन के लिए एंटीबायोटिक दी जानी चाहिए।
आईसीएमआर के मुताबिक, नैदानिक जांच हमें रोग के लक्षणों का कारण बनने वाले रोगजनकों (pathogens) के बारे में पता करने में मदद करती है। इससे संक्रमण (infection) का निदान करने के लिए बुखार, प्रोकैल्सीटोनिन स्तर, डब्ल्यूबीसी गणना, कल्चर या रेडियोलॉजी पर आंख मूंदकर भरोसा करने के बजाय एंटीबायोटिक की सही मात्रा तैयार करने में मदद मिलेगी। आईसीएमआर ने गंभीर रूप से बीमार रोगियों (sick patients) के लिए अनुभवसिद्ध एंटीबायोटिक चिकित्सा को सीमित करने की सलाह दी है।
उपयोगी साबित नहीं हो रही एंटीबायोटिक
इस अनुसंधान निकाय द्वारा एक जनवरी, 2021 से 31 दिसंबर, 2021 के बीच किए गए सर्वेक्षण में कहा गया था कि भारत में बड़ी संख्या में अब रोगियों के लिए ‘कार्बापेनम’ एंटीबायोटिक उपयोगी साबित नहीं हो रही और उन पर अब इसका कोई असर नहीं हो रहा। डाटा के विश्लेषण ने दवा के प्रभाव को बेसर करने वाले रोगजनकों में निरंतर वृद्धि की ओर इशारा किया और इस वृद्धि के परिणामस्वरूप उपलब्ध दवाओं के जरिये कुछ संक्रमणों का इलाज करने में मुश्किल की बात सामने आई।
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