नई दिल्ली। कोरोना वायरस(Corona Virus) की दूसरी लहर(second Wave) में जब मामले कम होने लगे हैं, तो इस दौरान फंगल इन्फेक्शन (Fungal infection) ने सरकार (Government) के साथ-साथ लोगों की चिंता बढ़ा दी है। ब्लैक फंगस(Black Fungus), व्हाइट फंगस(White Fungus) के बाद अब येलो फंगस (Yellow fungus) के भी मरीज सामने आए हैं। इनमें से ब्लैक फंगस(Black Fungus) के मरीजों की संख्या सबसे अधिक है। इस बीच, आईसीएमआर(ICMR) ने एक स्टडी में दावा किया है कि दूसरी लहर (Second Wave)में अस्पतालों में भर्ती हुए मरीजों में कम-से-कम 3.6 फीसदी मरीज सेकंडरी बैक्टिरियल और फंगल इन्फेक्शन (Secondary bacterial and fungal infections) से प्रभावित हैं।
स्टडी का डाटा दिखाता है कि सेकंडरी संक्रमणों के मरीजों में मृत्यु दर बढ़कर 56.7% हो गई, जबकि दस अस्पतालों में भर्ती मरीजों के बीच यह दर 10.6% थी। आंकड़ों से पता चलता है कि एक अस्पताल में सेकंडरी संक्रमण वाले लोगों में मृत्यु दर 78.9% तक थी।
आईसीएमआर में एपिडेमोलॉजी एंड कम्युनिकेबल डिजेस डिपार्टमेंट में साइंटिस्ट और पब्लिशड पेपर की लेखिका डॉ. कामिनी वालिया ने कहा, ”हमने पाया है कि सेकंडरी इन्फेक्शंस में ज्यादातर 78 फीसदी अस्पताल में हुए। संक्रमण के संकेत अस्पताल में भर्ती होने के दो दिन बाद मिलना शुरू हुए और अधिकांश नमूनों में ग्राम निगेटिव बैक्टीरिया थे जो दिखा रहे थे कि वे अस्पताल आधारित संक्रमण हैं। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि महामारी के बीच अस्पतालों में संक्रमण नियंत्रण नीतियों पर काम नहीं हो रहा था। डबल ग्लविंग और गर्म मौसम में पीपीई किट्स के इस्तेमाल की वजह से हैंड हाइजीन का उतना ध्यान नहीं रखा जा रहा था।” उन्होंने कहा, “संक्रमण पैदा करने वाले सबसे आम रोगजनक क्लेबसिएला निमोनिया और एसिनेटोबैक्टर बाउमानी थे; आमतौर पर ई कोली पिछली आईसीएमआर रिपोर्ट के अनुसार पाया जाने वाला सबसे आम रोगजनक है। दोनों संक्रमणों का इलाज करना बहुत मुश्किल है क्योंकि उन्होंने समय के साथ बहुत सारे प्रतिरोधी जीन हासिल कर लिए हैं। कोविड के बाद इलाज और मुश्किल हो जाता है। अस्पतालों को संक्रमण नियंत्रण में निवेश करना चाहिए और रोगाणुरोधी नुस्खे को उचित बनाना चाहिए।” दिलचस्प बात यह है कि अस्पतालों ने फंगल संक्रमण म्यूकोर्मिकोसिस के मामलों की रिपोर्ट नहीं की, जिसके मामले दूसरी लहर के दौरान बढ़े हैं। सर गंगा राम अस्पताल में सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. चंद वट्टल ने कहा, ”यह एक दोहरी मार है। कोविड -19 अन्य संक्रमणों के साथ मृत्यु दर में काफी वृद्धि करता है… दूसरी लहर के बाद रिपोर्ट किए गए म्यूकोर्मिकोसिस के मामले काफी हद तक स्टेरॉयड के अति इस्तेमाल की वजह से हैं। जब दूसरी लहर चरम पर थी, तब स्टेरॉयड बाजार से गायब हो गए थे। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है; यह उपलब्ध सबसे आम दवाओं में से एक है।” वहीं, इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह स्टडी आने वाले सालों में मजबूत दवाओं के ज्यादा इस्तेमाल के कारण एंटीमाइक्रोबायल प्रतिरोध में बढ़ोतरी के प्रति आगाह करता है। अस्पतालों में निर्धारित कुल एंटीमाइक्रोबायल दवाओं में से लगभग 74.4% विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की वॉच एंड रिजर्व श्रेणी से थी।