नई दिल्ली । हैदराबाद (Hyderabad) में शुरू हुए राष्ट्रीय जैव आयुर्विज्ञान संस्थान (National Institute of Biomedical Sciences) में अल्जाइमर, कैंसर (Alzheimer, cancer) और सांप के जहर (snake venom) जैसी जानलेवा परेशानियों का समाधान तलाशा जाएगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया (Dr. Mansukh Mandaviya) ने शनिवार को इसका उद्धाटन किया था।
नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अधीन राष्ट्रीय जैव अनुसंधान संस्थान जंतु संसाधन सुविधा (एनएआरएफबीआर) भारत सहित पूरे दक्षिण एशिया में सबसे बड़ा संस्थान है, जहां दवाओं से लेकर प्री क्लिनिकल ट्रायल तक होंगे जिन्हें एनिमल ट्रायल भी कहा जाता है। आईसीएमआर से मिली जानकारी के अनुसार इस संस्थान में घोड़े, बंदर, कुत्ते, चूहे, खरगोश सभी के लिए अलग अलग स्थान है।
घोड़ों पर रिसर्च करके यहां सांप के जहर सहित कई तरह के एंटी सीरम तैयार हो सकेंगे। वहीं, बंदरों पर रिसर्च से अल्जाइमर जैसी बीमारियों का इलाज तलाशा जाएगा। बीते कई वर्ष से चीन अपने यहां इसी तरह की लैब में बंदरों पर रिसर्च कर रहा है। इसके अलावा, कैंसर या अन्य संक्रामक रोगों के लिए यहां खरगोश, चूहों पर रिसर्च किया जाएगा। आईसीएमआर के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया कि इस तरह की लैब से अभी तक चीन, यूके या फिर अमेरिका के विज्ञान को बढ़ावा मिल रहा था लेकिन अब भारत में भी जैव रिसर्च के लिए हमारे पास अत्याधुनिक केंद्र है जिसका इस्तेमाल उन बीमारियों के लिए किया जाएगा जिनका इलाज मेडिकल साइंस में अब तक नहीं पता है। हरियाणा के मानेसर स्थित राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र में अल्जाइमर जैसी बीमारियों पर रिसर्च चल रहा है, लेकिन इस लैब से ये अनुसंधान काफी आसान होंगे।
उन्होंने बताया कि कोरोना में जिस तरह भारत ने जांच, इलाज और वैक्सीन की खोज में अपनी ताकत का परिचय दिया, उसी तरह अन्य बीमारियों के लिए भी भारतीय वैज्ञानिकों की खोज इस संस्थान के बनने से आयान होंगी। आईसीएमआर के अनुसार, बायोमेडिकल रिसर्च में पशुओं का अध्ययन जरूरी है। क्यूंकि इससे पशुजन्य व अन्य बीमारियों के कारण जानने और उनकी जांच व उपचार में मदद मिलती है।
देश भर के रिसर्च करेगा लीड
वैज्ञानिकों के अनुसार, हैदराबाद में 100 एकड़ से भी ज्यादा क्षेत्र में फैले इस संस्थान में 20 से भी ज्यादा इमारत हैं जिनमें अलक अलग पशुओं को क्वारंटीन किया जा रहा है। देश के बाकी अनुसंधान केंद्रों को भी अपने रिसर्च के लिए यह संस्थान एक सहायक की भूमिका में रहेगा और देश के अध्ययनों को लीड करेगा।
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