रांची । रांची (Ranchi) स्थित ईडी की विशेष अदालत (ED Special Court) ने सीनियर आईएएस पूजा सिंघल (Senior IAS Pooja Singhal) को मनीलांड्रिंग मामले में (In Money Laundering Case) आगामी 8 जून तक के लिए (Till June 8) न्यायिक हिरासत (Judicial Custody) में जेल भेजने (Sent to Jail) का आदेश दिया (Ordered) । मनीलांड्रिंग और आय से अधिक संपत्ति के मामले में गिरफ्तार की गयीं पूजा सिंघल पिछले 14 दिनों से ईडी की रिमांड पर थीं। उनसे रांची के ईडी क्षेत्रीय कार्यालय में पूछताछ की जा रही थी। अदालत के आदेश के बाद उन्हें रांची के होटवार स्थित बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल ले जाया जा रहा है।
पूजा सिंघल को विगत 11 मई को ईडी ने गिरफ्तार किया था। उसी दिन कोर्ट ने उनसे पूछताछ के लिए ईडी ने रिमांड के आवेदन को मंजूरी दी थी। इसके बाद दो बार और रिमांड की अवधि बढ़ायी गयी। कुल 14 दिनों की पूछताछ के बाद उन्हें बुधवार को रांची में ईडी की विशेष अदालत में पेश किया गया, जिसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया। इसके पहले रांची सदर अस्पताल की एक टीम ने उनकी मेडिकल जांच की।पूजा सिंघल से हुई पूछताछ के आधार पर ईडी को लगभग तीन दर्जन शेल कंपनियों में अवैध तरीके से निवेश की महत्वपूर्ण सूचनाएं हाथ लगी हैं। इन सूचनाओं के आधार पर 24 मई को झारखंड और बिहार में चार व्यवासियों और बिल्डर्स के आधा दर्जन से अधिक ठिकानों पर ईडी ने एक बार फिर छापामारी कर कई दस्तावेज जुटाये हैं।
बीते 6 मई को ईडी ने पूजा सिंघल और उनके पति के आवास सहित झारखंड, बंगाल, बिहार, हरियाणा और राजस्थान में कुल 25 ठिकानों पर एक साथ छापामारी की थी। उनके पति के सीए रहे सुमन कुमार सिंह के रांची स्थित आवास पर छापेमारी में 19 करोड़ से ज्यादा की रकम बरामद की गयी थी। इसके अलावा लगभग 200 करोड़ रुपये के निवेश से जुड़े कागजात भी बरामद किये गये।ईडी की जांच में यह तथ्य सामने आया है कि पूजा सिंघल जब उपायुक्त थीं, तो उनके और उनके पति खाते में वेतन से होने वाली आय के अतिरिक्त 1.43 करोड़ रुपये आये थे। ईडी ने जांच में यह भी पाया है कि पूजा सिंघल के खाते से 16.57 लाख रुपये सीए सुमन कुमार सिंह के खाते में ट्रांसफर किये गये थे।
पूजा सिंघल जब खूंटी जिले में उपायुक्त के पद पर तैनात थीं, तब मनरेगा की योजनाओं में लगभग 10 करोड़ रुपये के घोटाले का मामला सामने आया था। इस मामले में शुरूआत में जेई राम विनोद सिन्हा के खिलाफ 16 प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी। जांच में यह बात सामने आयी कि मनरेगा की योजनाओं का पालन कराने और योजनाओं की मॉनिटरिंग करने का अधिकार उपायुक्त को है। बाद में इस मामले में उच्चस्तरीय जांच की मांग को लेकर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गयी थी। हाईकोर्ट में इसपर सुनवाई चल रही है।
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