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    ‘मुझे बच्चा पैदा करना है, पति को जमानत दीजिए’, महिला ने हाई कोर्ट में लगाई याचिका

  • November 02, 2023

    जबलपुर: कोर्ट में कई बार बेहद अजीबो-गरीब याचिकाएं दाखिल की जाती हैं. ऐसी ही एक याचिका के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, जिसे सुनकर यकीनन आप भी सोचने पर मजबूर हो जाएंगे. जहां एक महिला (Women) ने बच्चा पैदा (born a child) करने के लिए कोर्ट में याचिका देकर अपने पति को रिहा करने की मांग की है.

    ये मामला मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के जबलपुर (Jabalpur) का है. जहां एक महिला बच्चा पैदा कर मां (Mother) बनना चाहती है. महिला का कहना है कि मां बनना उसका मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) है. लेकिन महिला का पति जेल में बंद है. इसके लिए महिला ने हाई कोर्ट (High Court) में एक याचिका दायर (petition filed) कर पति (Husband) को रिहा करने की गुहार लगाई है.

    5 डॉक्टरों की टीम करेगी महिला की जांच
    महिला की याचिका पर न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकल पीठ ने सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के डीन को पांच डॉक्टरों की टीम गठित करने का निर्देश दिया. ता कि महिला की जांच कर पता लगाया जा सके कि वो गर्भधारण करने के लिए मेडिकल रूप से फिट है या नहीं.


    आपराधिक मामले में जेल में बंद है महिला का पति
    सरकारी वकील सुबोध कथार के मुताबिक महिला का पति किसी आपराधिक मामले में जेल में बंद है और महिला मां बनना चाहती है. इसके लिए उसने अपने पति को रिहा करने के लिए याचिका दाखिल की है. महिला ने इस मामले में राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार संतान पैदा करने के अपने मौलिक अधिकार का दावा किया. वकील ने बताया कि महिला का याचिका पर कोर्ट ने 27 अक्टूबर को आदेश पारित किया था.

    महिला के गर्भधारण करने की संभावना नहीं
    इसके साथ ही वकील ने ये भी बताया कि महिला के रिकॉर्ड के मुताबिक वो रजोनिवृत्ति (menopause) की उम्र पार चुकी है. ऐसे में उसके कृत्रिम और प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने की संभावना नहीं है. इसके लिए कोर्ट ने विशेषज्ञों की टीम बनाकर महिला का चेकअप कराने का आदेश दिया है, ताकि ये पता चल सके कि महिला गर्भधारण कर सकती है या नहीं. कोर्ट ने महिला को 7 नवंबर को डीन के सामने पेश होने का निर्देश दिया है.

    22 नवंबर को होगी अगली सुनवाई
    कोर्ट के आदेश के बाद नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के डीन 5 डॉक्टरों की एक टीम बनाएंगे जिसमें 3 स्त्री रोग विशेषज्ञ, एक मनोचिकित्सक और एक एंडोक्रिनोलॉजिस्ट शामिल होंगे. पांचों डॉक्टरों की टीम महिला की पूरी तरह से जांच करेगी और 15 दिनों के अंदर डीन अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपेगा. इस मामले में अगली सुनवाई 22 नवंबर को की जाएगी.

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