नई दिल्ली (New Delhi)। चार राज्यों के विधानसभा चुनावों (Assembly elections of four states) ने कांग्रेस की कई धारणाओं (Many assumptions of Congress) को तोड़ दिया है. कांग्रेस के राणनीतिकारों को लग रहा था कि विधानसभा चुनाव में वे अपने दम पर बीजेपी (BJP) को पटखनी देंगे. कांग्रेस को लग रहा था कि जिस जीत को अकेले हासिल किया जा सकता है, उसका क्रेडिट I.N.D.I.A अलायंस के साझीदारों को क्यों देना? कांग्रेस को लग रहा था कि विधानसभा चुनाव जीतकर पार्टी I.N.D.I.A अलायंस में सबसे मजबूत होकर उभरेगी.
लेकिन कांग्रेस का आकलन चुनाव के नतीजों के सामने मुंह के बल गिरा. हिंदी हार्टलैंड में पार्टी छिन्न-भिन्न हो गई. पार्टी को राजस्थान गंवाना पड़ा है. छत्तीसगढ़ भी कांग्रेस के हाथ से निकल गई है और जिस मध्य प्रदेश से कांग्रेस को बड़ी-बड़ी उम्मीदें थी वहां भी पार्टी का चुनावी गणित भरभराकर गिर पड़ा है.
चुनाव के इन नतीजों ने साबित किया है कि कांग्रेस के लिए I.N.D.I.A अलायंस के साझेदार कितने जरूरी हैं. चुनाव नतीजों के बाद केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने कांग्रेस के घमंड पर वार किया. विजयन ने कहा, “बीजेपी जैसी राजनीतिक दुश्मन का सामना करने के लिए ये जरूरी था कि कांग्रेस संयुक्त रूप से टक्कर देती, लेकिन ऐसा करने के बाद कांग्रेस ने सोचा कि वो जीत गई, कांग्रेस को लगा कि उनके पास बड़ी ताकत है और उन्हें कोई हरा नहीं सकता है, पार्टी की इसी सोच की वजह से उनकी ये गति हुई है.”
बता दें कि इस विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव इंडिया अलायंस का हिस्सा रहते हुए एमपी में अलग चुनाव लड़े थे. अखिलेश ने एमपी में 74 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. अखिलेश ने एमपी में कांग्रेस से सीटें मांगी भी थी, लेकिन अति आत्मविश्वास में कांग्रेस ने सपा को एक भी सीट नहीं दी.
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इसे लेकर अखिलेश ने नाराजगी जताई थी और कहा था कि लोकसभा चुनाव में साथ रहना है या नहीं, वह इस पर विचार करेंगे. बता दें कि इस चुनाव में अखिलेश की पार्टी एक अच्छी खासी शक्ति के रूप में देखी जा रही थी. एमपी में सपा ने कई सीटों पर कांग्रेस को नुकसान भी पहुंचाया. निवाड़ी ऐसी ही एक सीट है. अगर एमपी में इंडिया अलायंस के गठबंधन तले विपक्ष चुनाव लड़ने उतरता तो तस्वीर अलग हो सकती थी.
कांग्रेस के ओवर कॉन्फिडेंस को लेकर बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने भी नाराजगी जताई थी. लेफ्ट की एक रैली में पहुंचे नीतीश कुमार ने कहा था कि इंडिया अलायंस को लेकर कांग्रेस का रवैया उदासीन है. नीतीश ने कहा था कि कांग्रेस 5 राज्यों के चुनाव में व्यस्त है और चुनाव खत्म होने के बाद इस पर बात की जाएगी.
वहीं इन चुनावों के नतीजे आने के बाद कांग्रेस ने इंडिया अलायंस को लेकर एक बार फिर से सक्रियता दिखाई है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 6 दिसंबर को I.N.D.I.A की बैठक बुलाई है ताकि इस चुनाव के नतीजों और लोकसभा चुनाव की तैयारियों पर चर्चा की जा सके. अब सवाल उठता है कि इन नतीजों के बाद I.N.D.I.A अलायंस पर क्या असर पड़ेगा? इन चारों राज्यों के चुनाव नतीजों का संदेश क्या है?
नीतीश की बारगेनिंग पावर बढ़ेगी
इसक सीधा-सीधा जवाब यह है कि I.N.D.I.A अलायंस की अगली बैठक में नीतीश कुमार की तोल-मोल की क्षमता बढ़ जाएगी. अब ये आवाज उठेगी कि I.N.D.I.A का नेतृत्व नीतीश कुमार को सौंपा जाए. बता दें कि नीतीश खुद को पीएम पद की रेस से बाहर बता चुके हैं. लेकिन नीतीश को I.N.D.I.A को लीड करने में कोई परेशानी नहीं है.
जेडीयू की ओर से ऐसी आवाजें भी आने लगी हैं. जेडीयू नेता निखिल मंडल ने इस बाबत अपनी मांग भी रख दी है. निखिल मंडल ने ट्वीट कर कहा है कि I.N.D.I.A गठबंधन को अब नीतीश कुमार जी के अनुसार चलना चाहिए. कांग्रेस 5 राज्यों के चुनाव में व्यस्त होने की वजह से इंडिया गठबंधन पर ध्यान नहीं दे पा रही थी. अब तो कांग्रेस चुनाव भी लड़ ली, रिजल्ट भी सामने है. याद रहे नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन के सूत्रधार है और वही इस नैया को पार करा सकते है.”
I.N.D.I.A के बीच कांग्रेस की एक्सेपटेंस में गिरावट
पहले हिमाचल प्रदेश फिर कर्नाटक की जीत ने कांग्रेस का आत्मबल बढ़ाया था. पार्टी यह कह रही थी कि मौजूदा कांग्रेस नेतृत्व को उत्तर और दक्षिण दोनों जगह स्वीकार्यता हासिल है. लेकिन इस चुनाव के नतीजों ने हिन्दी हार्टलैंड मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ से पार्टी का सफाया कर दिया है. निश्चित रूप से इसका परिणाम यह होगा कि इंडिया अलायंस में कांग्रेस की स्वीकार्यता को लेकर हिचक होगी. ममता बनर्जी, शरद पवार, अरविंद केजरीवाल, अखिलेश जैसे नेता I.N.D.I.A को लीड करने की कांग्रेस की क्षमता पर सवाल उठा सकते हैं.
2024 के लिए सीट शेयरिंग में जल्दबाजी
I.N.D.I.A में शामिल पार्टियां टीएमसी, आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी कांग्रेस से 2024 आम चुनाव के लिए जल्द से जल्द सीटों को फाइनल करने पर जोर डाल रही थीं. लेकिन कांग्रेस विधानसभा चुनाव में व्यस्त थी. अब इन नतीजों के बाद सीट शेयरिंग पर वार्ता में तेजी आ सकती है. बता दें कि कई ऐसे राज्य हैं जहां कांग्रेस या फिर उसके सहयोगियों को एक दूसरे के लिए लोकसभा सीटों की कुर्बानी देनी पड़ सकती है. दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल ऐसे ही राज्य हैं.
दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच सीटों को लेकर समझौता होना है, पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी और कांग्रेस के बीच सीटों का बंटवारा होना है. इसी तरह से उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव और कांग्रेस को सीटों का हिसाब बिठाना पड़ेगा. कांग्रेस को ऐसी ही कवायद महाराष्ट्र में करनी पड़ेगी.
जाति जनगणना फिलहाल फैक्टर नहीं
I.N.D.I.A अलायंस में नीतीश, अखिलेश, लालू यादव जैसे नेता जाति जनगणना का भरपूर समर्थन कर रहे हैं. लेकिन इन चार राज्यों के नतीजे जाति फैक्टर से अलग कहानी कहते हैं. इन नतीजों से साफ हुआ है कि जनता को फिलहाल जाति का आंकड़ा जानने से मतलब नहीं है. इसके बजाय जनता ने वोट देने में सरकारी स्कीम की डिलीवरी, महिला वोटर्स का विश्वास, गैस सिलेंडर जैसे मुद्दों को तवज्जो दी है. अब I.N.D.I.A अलायंस को ये तय करना होगा कि वे अपने एजेंडे में जाति जनगणना को कितनी तवज्जो देते हैं.
रेवडी स्कीम्स पर होगा शोर
जिन चार राज्यों के नतीजे आए हैं उन चारों जगहों पर मुफ्त की योजनाओं का वोटर्स को लुभाने में बड़ा रोल रहा है. तेलंगाना जहां कांग्रेस चुनाव जीती है वहां के चुनावी वायदों के बारे में प्रियंका ने कहा था कि उनकी पार्टी 500 रुपये में गैस सिलेंडर देगी. कांग्रेस ने यही वादा राजस्थान के लिए भी किया था. बीजेपी ने यहां 450 रुपये में सिलेंडर देने का वादा किया है. इसके अलावा कांग्रेस ने तेलंगाना में महिलाओं के लिए फ्री बस यात्रा, 200 यूनिट मुफ्त बिजली, घर बनाने के लिए जमीन देने का वादा किया है. इसके लिए पार्टी ने बुजुर्गों को ₹4,000 प्रति माह पेंशन देने का वादा किया है. निश्चित रूप से I.N.D.I.A अलायंस के नेता इस ट्रेंड को जारी रखना चाहेंगे. राहुल गांधी पिछले लोकसभा चुनाव में ही NYAY स्कीम के तहत हर साल युवकों को प्रतिमाह 6 हजार रुपये देने के पक्षधर हैं.
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