नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने गुरुवार को दिल्ली सर्विस बिल पर बोलते हुए कहा कहा कि जिस बिल का विरोध किया जा रहा है, एक समय पंडित नेहरू ने इसकी सिफारिश की थी। शाह ने कई बड़े नेताओं का नाम गिनाते हुए कहा कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने को वो खिलाफ थे। उन्होंने कहा कि संसद को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से संबंधित किसी भी कानून को बनाने का अधिकार है। दिल्ली न पूर्ण राज्य है और न ही संघ शासित प्रदेश है। नेहरू जी ने कहा था कि दिल्ली में 3/4 संपत्ति केंद्र सरकार की है। दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा न देने का विरोध खुद नेहरू जी ने किया था।
अमित शाह ने कहा कि 1911 में दिल्ली की स्थापना मेहरौली और दिल्ली दो तहसीलों को मिलाकर बनाई गई। उन्होंने कहा, ‘आजादी के बाद पट्टाभी सितारमैय्या समिति ने दिल्ली को राज्य स्तर का दर्जा देने की सिफारिश की। हालांकि संविधान सभा के समक्ष जब यह सिफारिश आई तब पंडित जवाहरलाल नेहरू जी, श्रीमान सरदार पटेल, राजाजी, राजेंद्र प्रसाद और डॉ. भीमराव आम्बेडकर जैसे नेताओं ने इसे अनुचित बताया और इसका विरोध किया। अमित शाह ने पंडित नेहरू के तत्कालीन चर्चा को दोहराते हुए कहा कि नेहरू जी ने दो साल पहले उस दौरान कहा था कि दो साल पहले सदन ने सीतारमैय्या समिति की नियुक्ति की। भारत, दुनिया और दिल्ली काफी बदल चुकी है। इसलिए दिल्ली में हुए परिवर्तन को देखते हुए उस सिफारिश को स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
इसपर कांग्रेस पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि कल सदन में ये बिल आना था लेकिन याद नहीं आया। बाद में पता चला कि अमित शाह जी मोदी जी के साथ घूमने चले गए हैं। उन्होंने कहा, ‘आज अमित शाह जी के मुंह से नेहरू जी की तारीफ सुनी तो लगा कि दिन में ये कैसे हो गया। उनके मुंह में घी शक्कर।’ इसपर अमित शाह ने कहा कि मैंने नेहरू जी के शब्दों को दोहराया है। आपको तारीफ समझना है तो समझिए, सही है। कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि अगर दिल्ली में ऐसी छेड़खानी होती रहेगी तो आप अन्य राज्यों के लिए भी ऐसे बिल लाते रहेंगे। अगर आपको लगता है कि यहां घोटाला होता है तो उसके लिए आपको यह बिल लाना जरूरी था? आपके पास ED, CBI, IT है, आप उसका इस्तेमाल क्यों नहीं करते?
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