श्रीनगर । जम्मू-कश्मीर के वरिष्ठ राजनेता डॉ. फारूक अब्दुल्ला (Senior politician of Jammu-Kashmir Dr. Farooq Abdullah) ने कहा, “मुझे इन एग्जिट पोल पर भरोसा नहीं है (I do not Trust these Exit Polls) ।” वहीं उनके बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा, “मैं हैरान हूं कि चैनल एग्जिट पोल को लेकर इतना ध्यान दे रहे हैं, खासकर हाल के आम चुनावों की असफलता के बाद । मैं चैनलों, सोशल मीडिया, व्हाट्सएप आदि पर हो रही सभी हलचल को नजरअंदाज कर रहा हूं, क्योंकि असली आंकड़े 8 अक्टूबर को ही सामने आएंगे । बाकी सब तो बस टाइम पास है।”
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के नेता जुहैब मीर ने कहा, “जहां तक हमारा सवाल है, एग्जिट पोल कोई गंभीर गतिविधि नहीं है, बल्कि टाइम पास गतिविधि है। पीडीपी को पूरा भरोसा है कि वह जम्मू-कश्मीर में बनने वाली धर्मनिरपेक्ष सरकार का एक अनिवार्य और महत्वपूर्ण हिस्सा होगी। किसी भी धर्मनिरपेक्ष सरकार के गठन में पीडीपी की अहम भूमिका होगी। हमने कहा था कि हम कश्मीर की पहचान बचाने के लिए कोई भी कदम उठाने को तैयार हैं, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि हम एक धर्मनिरपेक्ष सरकार बनाएं, भाजपा के साथ नहीं, बल्कि उसके खिलाफ सरकार बनाएं।”
लोकसभा सदस्य और अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) के अध्यक्ष इंजीनियर राशिद ने कहा, “हर किसी को एग्जिट पोल करने की आज़ादी है। वे बेहतर जानते हैं कि मानक क्या थे। हमें 8 अक्टूबर का इंतज़ार करना चाहिए, क्योंकि मैंने कभी एग्जिट पोल पर भरोसा नहीं किया है।” उधर जम्मू-कश्मीर चुनाव के लिए भाजपा प्रभारी तरुण चुघ ने कहा, “परिणाम एग्जिट पोल के निष्कर्षों को झुठला देंगे।”
दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस एकमात्र राजनीतिक पार्टी है जिसने एग्जिट पोल में पार्टी के लिए अनुमानित संख्याओं पर भरोसा जताया है। जेकेपीसीसी के अध्यक्ष तारिक हमीद कर्रा ने कहा, “विभिन्न एग्जिट पोल के अनुमानों ने कांग्रेस के रुख को सही साबित कर दिया है और भाजपा के खिलाफ जनता के गुस्से को साबित कर दिया है।”
ज्यादातर एग्जिट पोलों में कांग्रेस-नेशनल कांफ्रेंस आगे दिख रही है, लेकिन वे बहुमत का जादुई आंकड़ा पार करने में असफल हैं। एग्जिट पोल से पता चलता है कि कांग्रेस-एनसी गठबंधन को 43 सीटें मिलेंगी, जो बहुमत के आंकड़े 46 से तीन कम है। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा की 90 सीटें हैं।
सभी पोलिंग एजेंसियों ने जम्मू क्षेत्र में भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिलने की भविष्यवाणी की है, हालांकि कांग्रेस-एनसी गठबंधन भी इस क्षेत्र में चुनौती पेश करता दिख रहा है। कश्मीर घाटी में लोगों का जनादेश एनसी-कांग्रेस गठबंधन की ओर झुका हुआ दिख रहा है, जबकि पीडीपी पहले की तरह अपना प्रभाव दोहराने में विफल रही है।
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